उत्तराखण्ड हरिद्वार

विश्व पटल पर 100 वूमेन ऑफ 2020 बीबीसी में शामिल होकर धर्मनगरी हरिद्वार की बेटी रिद्धिमा पांडे ने किया नाम रोशन

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हरिद्वार (वंदना गुप्ता) कुछ कर गुजरने की लग्न होती है तो मंजिल बहुत आसान बनने लग जाती है। इसको ही सार्थक कर रही है हरिद्वार की 13 वर्ष की रिद्धिमा पांडे ने विश्व पटल पर धर्म नगरी हरिद्वार और भारत का नाम रोशन किया। पर्यावरण संरक्षण को लेकर लगातार आवाज उठाने वाली रिद्धिमा पांडे को बीबीसी द्वारा हर वर्ष जारी की जाने वाली 100 महिलाओं की वूमेन ऑफ 2020 सूची में शामिल किया गया। भारत से इस सूचि में केवल तीन महिलाओं को स्थान मिल पाया है। जिसमें रिद्धिमा सबसे कम उम्र की महिला हैं और दो महिला मुंबई और दिल्ली से है जो अपने अपने क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही है।

देंखे आखिर इस छोटी सी उम्र में कैसे रिद्धिमा पांडे ने इस मुकाम को हासिल किया

इंसान के जीवन में कभी एक ऐसी घटना घटती है कि वह उसके जीवन को ही बदल कर रख देती है। ऐसा ही रिद्धिमा पांडे के साथ भी हुआ। उत्तराखंड के केदारनाथ में आई भारी त्रासदी आज तक लोग नहीं भूल पाए ।हैं इस त्रासदी ने रिद्धिमा के जीवन को बदलकर रख दिया। करीब 5 साल की मासूम सी उम्र में रिद्धिमा केदारनाथ त्रासदी से घबरा गई थी और यह त्रासदी कैसे हुई इसके बारे में जानना चाहती थी ।जो इस त्रासदी की मुख्य वजह निकल कर सामने आई वह पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ किया जाना था। तभी से रिद्धिमा पर्यावरण को बचाने की मुहिम में जुट गई और 9 साल की कम उम्र में पर्यावरण को बचाने के लिए रिद्धिमा पांडे ने केंद्र सरकार के खिलाफ एनजीटी में रिट पिटीशन दाखिल की। इसी कार्य की वजह से उनको यूएन में भी भाषण देने का मौका मिला। रिद्धिमा पांडे का यह सफर आसान नहीं रहा और उनको कई कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा। मगर आज इस सम्मान के बाद रिद्धिमा पांडे भी काफी खुश नजर आ रही है। रिद्धिमा पांडे का कहना है कि आज काफी खुशी का अनुभव हो रहा है की पूरे विश्व में इतनी महिलाओं में से 100 महिलाओं में मुझे शामिल होने का मौका मिला ।यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मेरे द्वारा किए गए कार्य की वजह से मुझे यह सम्मान मिला है मुझे लग रहा है मेरे द्वारा किए जा रहे पर्यावरण के कार्यों को लोग समझ रहे हैं और इस कार्य को महत्वपूर्ण मान रहे हैं। रिद्धिमा का कहना है कि में अपने  ट्रस्ट के माध्यम से जो बच्चे पर्यावरण को लेकर कार्य करना चाहते हैं और किसी परेशानी के कारण वह नहीं कर पा रहे हैं उनको मै कराने की कोशिश करूंगी और बड़े स्तर पर कई ऐसे कार्यक्रम करने की योजना है। जो बच्चे अपनी बात कही नहीं रख सकते वो वहा रख सके इससे उनके अंदर भी पर्यावरण को बचाने का जज्बा पैदा होगा। रिद्धिमा पांडे का कहना है कि पर्यावरण को बचाने के लिए किए जा रहे कार्य में मुझे भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। क्योंकि लोग मेरे द्वारा किए जा रहे कार्यों को गंभीरता से नहीं लेते थे और कहते थे कि इतनी छोटी सी उम्र में इस तरह के कार्य करने पर परिवार या कोई और करवा रहा है यह सब फेमस होने के लिए किया जा रहा है ये सब सोशल मीडिया पर होता था। रिद्धिमा पांडे का कहना है कि इस कार्य को करने में मुझे अपनी पढ़ाई में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ा क्योंकि जब में भारत से बाहर जाती थी और कई कार्यक्रम में भाग लेना होता था तो स्कूल से छुट्टी लेनी पड़ती थी इसके कारण कई बार एग्जाम भी छोड़ने पड़े मगर आज खुशी का अनुभव हो रहा है।

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