उत्तराखण्ड हल्द्वानी

महिला अधिकारों के दावे तो बहुत, लेकिन शैक्षिक स्तर आज भी चिन्ताजनक, एमबी डिग्री कालेज में महिला दिवस पर गोष्ठी का आयोजन

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हल्द्वानी।(शेरअफगन)अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मोतीराम बाबूराम राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हल्द्वानी में आयोजित कार्यक्रम में महिलाओं को कानूनी जानकारी दी गई। साथ ही वक्ताओं ने महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति सजग रहने का भी आहवान किया। कहा, महिलाओं को संविधान ने अधिकार प्रदत्त किए हैं जिनका उन्हें लाभ उठाना चाहिए। कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं सिविल जज सीनियर डिवीजन इमरान मोहम्मद खान और न्यायधीश राज्य विधिक प्राधिकरण युसुफ खान बतौर मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि के तौर पर सिविल जज सीनियर डिविजन संगीता आर्य और सिविल जज शमा परवीन उपस्थित रहे। कार्यक्रम के आयोजक एमबी डिग्री कालेज के विधिक लीगल सेल के डा. एचएस भाकुनी ने मुख्य अतिथियों का स्वागत किया। अपने उदबोधन में विधिक सेल के एचएस भाकुनी ने महिलाओं के शैक्षिक स्तर पर चिंता जाहिर की। कहा, लंबे समय से महिलाओं की साक्षरता को लेकर भले ही सरकार चिन्ता जता रही है लेकिन आज भी पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं का साक्षरता स्तर चिन्तनीय है। उन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध से लेकर वर्तमान तक महिलाओं की स्थिति पर विस्तार से अपने विचार रखे। न्यायधीश जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं सिविल जज सीनियर डिविजन इमरान मोहम्मद खान ने महिला अधिकारों को लेकर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि महिलाओं को संविधान की ओर से अधिकार दिए गए हैं। संपत्ति में अधिकार का मामला हो या फिर अन्य मामले संविधान में उन्हें समान अधिकार प्रदान किए गए हैं। पैतृक संपत्ति में भी उन्हें समान अधिकार प्रदान किए गए हैं। न्यायधीश राज्य विधिक प्राधिकरण युसुफ खान ने कहा कि कोरोना काल में महिलाओं के साथ हिंसा की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। हिंसा की घटनाओं की रोकथाम के लिए विधि प्राधिकरण की ओर से हैल्प लाइन जारी किए गए हैं। अगर कोई भी महिला हिंसा की शिकार होती है तो वह इन नंबरों पर संपर्क कर सकती हैं। उन्होंने महिला अधिकारो के समानता के अधिकार को लेकर चर्चा करने के साथ ही संविधान प्रदत्त अधिकारों का लाभ उठाने का आहवान किया। उन्होंने महिलाओं को विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यों की भी विस्तार से जानकारी दी।  उन्होंने स्त्री और पुरूष सिक्के के दो पहलू हैं, इनके बिना दोनों का कोई अस्तित्व नहीं है। प्राचार्य प्रो. बीआर पंत ने महिला दिवस पर आयोजित हुई गोष्ठी के लिए डा. भाकुनी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भले ही आज हम महिलाओं को पूर्ण अधिकार देने का दंभ भरते हो, लेकिन इसके बाद भी महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित हैं। घटना लिंगानुपात इसका जीता जागता उदाहरण है। संगीता आर्या ने लैंगिंग समानता के बारे में जानकारी दी। पहले और आज के समय में महिलाओं की हालत में सुधार आया है। महिलाएं अपने अधिकारों को लेेकर काफी संजीदा हैं और अपने अधिकारों के लिए आगे भी आ रही हैं।  वहीं सिविल जज समा परवीन भी महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक रहने का आहवान किया। उन्होंने कार्यक्षेत्र में महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव पर चिंता जताई। कहा कि कार्यक्षेत्र में पुरूषों की अपेक्षा उनके वर्किंग आॅवर कम होने चाहिए। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश युनूस खान ने महिाविद्यालय को सीखने की संस्था बताया। उन्होंने पाॅक्सो एक्ट और ड्रग नियंत्रण को लेकर विस्तार से अपने विचार रखे। उन्होंने महिलाओं से होने वाले अपराधों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। कहा, कार्यक्षेत्र हो या फिर सामाजिक परिवेश में, अगर महिला के प्रति कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह की टिप्पणी करता है जो सामाजिक नजरिए से गलत है तो वह भी अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने अनुच्छेद 15 के बारे में भी जानकारी दी। गोष्ठी में प्रो. शांति नयाल, प्रो. प्रभा पंत, स्निग्धा रावत, प्रो. निलोफर अख्तर, डा. ज्योति टम्टा, डा. उर्वशी, डा. दीपा मेवाड़ी, डा. विमला सिंह, डात्र कविता बिष्ट, डा. जयश्री भंडारी आदि ने भी अपने विचार रखे।

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