उत्तराखण्ड हरिद्वार

महाशिवरात्रि के पर्व पर श्रद्धालुओं का सैलाब,,मंदिरों और शिवालयों में जाकर की पूजा अर्चना

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काशीपुर (सुनील शर्मा) महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर हरिद्वार से जल भरकर लाने के बाद बम भोले के जयकारों के बीच काशीपुर तथा आसपास और दूरदराज के शिवभक्तों ने देर रात से मोटेश्वर महादेव मंदिर पर जलाभिषेक किया। इसी के साथ साथ काशीपुर के शिव मंदिरों और शिवालयों में जाकर पूजा अर्चना की। स्थानीय व आसपास के क्षेत्रों के हजारों की संख्या कांवरियों ने आज काशीपुर में चैती मंदिर के पास मोटेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक किया। पूजा अर्चना करने वालों व शिवलिंग पर जल चढाने वाले शिवभक्तों का तांता लगा रहा। कहते हैं कि भक्ति में शक्ति है, इसीलिए कोरोना काल के बावजूद भी महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव भक्तों ने मंदिरों में पहुंचकर जलाभिषेक किया। काशीपुर के महाभारत कालीन मोटेश्वर महादेव मंदिर में हजारों की संख्या में शिव भक्तों व हरिद्वार से जल लेकर आये कांवरियों के जलाभिषेक का क्रम जारी है। मध्य रात्रि से ही शिव भक्त भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर रहे है। उधर पुलिस द्वारा सुरक्षा के पुख्ता  बंदोबस्त किये गए है। काशीपुर के इस प्राचीनतम मंदिर पर भक्तों की अटूट आस्था है।महाभारत कालीन मोटेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग 12वां उप ज्योतिर्लिंग है। शिवलिंग की मोटाई अधिक होने के कारण यह मोटेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात है। स्कंद पुराण में भगवान शिव ने कहा कि जो भक्त कांवड़ कंधे पर रखकर हरिद्वार से गंगा जल लाकर यहां चढ़ाएगा, उसे मोक्ष मिलेगा। इसी मान्यता के चलते मन्नत पूरी होने पर यहा लोग कांवड़ चढ़ाते हैं। काशीपुर के चैती मैदान में महादेव नहर  के किनारे मोटेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यहां रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु पूजा करने आते हैं। हर साल महाशिवरात्रि पर्व पर यहां भव्य मेला लगता है। यूपी के जिला मुरादाबाद, रामपुर, बिजनौर, ठाकुरद्वारा से कई श्रद्धालु यहां हर साल कांवड़ चढ़ाने आते हैं। शिवरात्रि में एक दिन पहले से मंदिर में भक्तों की लाइन लग जाती है और आधी रात से कांवड़ चढ़नी शुरू हो जाती है। मोटेश्वर महादेव मंदिर दूसरी मंजिल पर है। शिवलिंग के चारों ओर तांबे का फर्श बना है। यह मंदिर जागेश्वर के कारीगर ने बनाया है। मोटाई अधिक होने के कारण शिवलिंग किसी व्यक्ति की कोलिया में नहीं आता। देर रात से   नगर के मोटेश्वर महादेव मंदिर, बांसीयो वाला मंदिर, नागनाथ मंदिर, हरी शंकर मंदिर, गंगे बाबा मंदिर समेत नगर के विभिन्न मंदिरों में शिव भक्तों का ताता लगा रहा।

 

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