उत्तराखण्ड हरिद्वार

निरंजनी अखाड़े की महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया कड़ा फैसला,,संतो ने रखा अगर घर परिवार से नाता तो उसे निकाल दिया जाएगा अखाड़े से बाहर

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हरिद्वार (वंदना गुप्ता) संत का चोला पहनकर संतों का अपने परिवार से कोई नाता नहीं होता है और उनके लिए पूरा विश्व ही परिवार होता है तेरह अखाड़ों में सबसे महत्वपूर्ण पंचायती निरंजनी अखाड़े ने एक महत्वपूर्ण बैठक की गई और उसमें एक कड़ा फैसला लिया गया अखाड़े द्वारा ऐलान किया गया है कि अखाडे के जो भी संत घर परिवार से रिश्ता रखे हुए हैं या फिर गृहस्थ जीवन जी रहे हैं उन सभी पर कार्रवाई करते हुए उन्हें अखाडे से बाहर किया जाएगा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने जानकारी देते हुए बताया कि संन्यास परंपरा में आने के बाद संत का पुनर्जन्म होता है संत अपना घर, परिवार माता, पिता सभी मोहमाया त्याग देता है इसलिए संत बनने के बाद दोबारा गृहस्थ जीवन में लौटना या फिर घर परिवार व अन्य परिवारजनों से रिश्ता रखना संन्यास परपंरा के खिलाफ है निरंजनी अखाड़े के सभी संतों ने एकमत से ये फैसला किया है ऐसा करने वाले संतों को अखाडे से बाहर किया जाएगा।आपको बता दे कि सन्यास परंपरा के सात अखाड़े हैं जिसमें प्रमुख जूना ,निरंजनी, अग्नि ,आवाहन, महानिर्वाणी ,अटल आनंद है इन सभी अखाड़ों में लाखो की संख्या में नागा सन्यासीजिन्होंने सन्यास की दीक्षा लेने के साथ ही अपने घर परिवार को त्यागा है मगर कई ऐसे संत है जो अभी भी अपने परिवार से नाता रखे हुए हैं उन साधुओं के ऊपर अब बड़ी कार्रवाई निरंजनी अखाड़ा करने जा रहा है और जो भी साधु अपने परिवार से नाता रखेगा उनको अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा अखाड़े द्वारा सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को पास कर दिया गया

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