हल्द्वानी (जफ़र अंसारी) आत्महत्या की घटनाएं न सिर्फ परिवार बल्कि समाज के लिए भी चिंता का बड़ा कारण है। एक सप्ताह पहले हल्द्वानी में दो नाबालिग बहनों ने आत्महत्या कर ली थी, एक छात्र नेता द्वारा भी आत्महत्या की गई इतना ही नहीं रोजाना कई लोगों की आत्महत्या करने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जो समाज के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। इस विषय में मनोचिकित्सक नेहा शर्मा का कहना है कि जिस तरह से नकारात्मक माहौल बन रहा है, आज लोगों में छोटी सी बात सहन करने की क्षमता खत्म हो रही है, ऐसी प्रवृत्ति से बचने के लिए उचित माहौल पैदा होना जरूरी है, साथ ही भाग-दौड़ भरी जिंदगी और प्रतिस्पर्धा की दौड़ में आत्महत्याओं के लिए सोशल मीडिया भी जिम्मेदार हैं आत्महत्याओं के पीछे सोशल मीडिया बड़ा कारण है, नेहा शर्मा का कहना है कि आत्महत्या के मामले अब धीरे-धीरे सभी उम्र के व्यक्तियों में बढ़ रहे हैं. इसके अलावा अब युवा पीढ़ी भी आत्महत्या जैसी खौफनाक घटनाओं को अंजाम दे रही है, युवा पीढ़ी समय की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही है युवाओं में प्रतिस्पर्धा के अलावा कुछ करने या कुछ बनने की होड़ मची है आज उनकी अपनी आवश्यकताएं अधिक हो चुकी है जिसके चलते युवा नकारात्मक सोचने लगते हैं और उनके दिमाग में आत्महत्या के विचार आने शुरू हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि आत्महत्याओं का विचार और लक्षण मनुष्य के जीवन में करीब 6 माह से आने शुरू हो जाते हैं, ऐसे में हमे अपने विचारों को कंट्रोल करने की जरूरत है। डॉक्टर नेहा शर्मा का कहना है कि आत्महत्याओं के लिए 50 प्रतिशत जिम्मेदार सोशल मीडिया है मोबाइल एडिक्शन, सोशल मीडिया का प्रयोग करने वाले लोगों में सोशल मीडिया की सही जानकारी नहीं होना प्रमुख है इसके अलावा सोशल मीडिया में आने वाली तरह-तरह की खबरें, फोटो, वीडियो, विचार, सुझाव सहित कई भ्रामक खबरें आत्महत्याओं का कारण बन रहे है, परिवार के लोगों को अपने बच्चों में बदलते व्यवहार पर नजर रखने की जरूरत है, अगर किसी के भी मन में आत्महत्या का विचार आए तो वो तुरंत अपने परिवार, रिश्तेदार से समस्याओं को शेयर करे व्यवहार परिवर्तन होने पर मनोचिकित्सक से भी राय लें, जिससे कि आत्महत्या की घटनाओं को रोका जा सके।