लालकुआ– (नंदन राम आर्य) लालकुआ क्षेत्र में स्थापित सबसे बड़ी फेक्ट्रियो में शुमार सेंचुरी पेपर मिल द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण से क्षेत्रवासी प्रभावित है मिल के प्रदूषण से लोग अकाल मृत्यु कि मौत मर रहे हैं वही पूर्व में मिल के प्रदूषण पर कारवाई को लेकर प्रदर्शनकारियों कि जिलाधिकारी से लेकर ना जाने कितने बड़े अधिकारियों के साथ वार्ता हुई लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा अब इसी को लेकर लोगों ने आर पार कि लड़ाई का मन बना लिया है।
बताते चलें कि लालकुआ में हजारो लोगों को रोजगार देने वाली एशिया की सबसे बड़ी पेपर मिल में शुमार लालकुआ सेंचुरी पेपर मिल पिछले कई दशकों से क्षेत्रवासियों को रोग परोस रही है। मिल की असमान छूती चिमनिया से निकालने वाला जहरीला धूएं ने नगर ही नहीं बल्कि इसके आस पास गांव को भी अपनी जद में ले रखा है। वही मिल के केमिकल युक्त दूषित नाले ने कितने लोगों को आपने आगोश में ले लिया है यहां कोई नहीं जानता है। इसी को लेकर कई बार स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किये धरने दिये तथा प्रर्यावरण बोर्ड में शिकायत भी कि तथा मील गेट से लेकर उप जिलाधिकारी कार्यालय तक धरना दिया। लेकिन मिल प्रबंधक कि ऊची पकड़ के चलते यहां समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है वही बात करें बीते बर्षो कि तो मील से निकलने वाले जल, वायु, ध्वनि के प्रदूषण ने लोगों का जीना दूभर हो गया है वही मील से निकलने वाले केमिकल युक्त दूषित नाले ने किसानों की फसलों को भी चोपट किया हुआ है। मील से निकलने वाले जहरीले प्रदूषण से निजात दिलाने की मांग को लेकर लालकुआ, घोड़ानाला, बिन्दुखत्ता, हल्दूचोड, शान्तिपुरी क्षेत्र के लाखों क्षेत्रवासी शासन प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। माना जाये तो बिरला ग्रुप को प्रशासन ने भी प्रदूषण परोसने की खुली छूट दे रखी है। वही मील प्रबन्धन ने भी प्रदूषण से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए हैं। वहीं मील से निकलने वाले केमिकल युक्त दूषित पानी ने ग्रामीणों की जमीनों को बंजर कर दिया है। जिसे लोगो को काफी परेशानी हो रही है। इधर पर्यावरण सरक्षण समिति के संरक्षक आनंद गोपाल बिष्ट ने बताया कि उनकी समिती के नेतृत्व में क्षेत्रवासियों ने पूर्व में सेंचुरी पेपर मिल से निकल रहे जहरीले प्रदूषण को लेकर आंदोलन किया गया था जिसपर एक जांच कामेटी बैठी थी लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है उन्होंने कहा की अब उनके द्वारा जल्दी आन्दोलन कि रूपरेखा तैयार कि जा रही है तथा जल्द ही आर पार कि लड़ाई लड़ी जायेगी। इधर तराई भाबर बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष रमेश पंलडिया ने बताया कि उनके द्वारा सेंचुरी पेपर मिल के प्रदूषण के खिलाफ जिला अधिकारी से लेकर प्रधानमंत्री तक को ज्ञापन भेजा गया जिसमें उन्होंने 15 दिन का अल्टीमेटम दे रखा है उन्होंने कहा कि अगर 15 दिन में सेंचुरी के जहरीले प्रदूषण एव उनकी मांगों को नही माना गया तो वे उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे।
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