उत्तराखण्ड ज़रा हटके देहरादून

उत्तराखंड मैं हर गांव में होगा सड़को का निर्माण, नई योजना की सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दी हरी झंडी…..

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देहरादून- उत्तराखंड में सड़क कार्य पर विशेष ध्यान दे रही धामी सरकार ने अब उन गांवों की जानकारी ली है, जो अभी तक सड़क सुविधा से वंचित हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सोमवार को आयोजित हुई कैबिनेट की बैठक में  ‘मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना’ प्रारंभ करने को हरी झंडी दे दी गई है। योजना के अंतर्गत सड़क से अछूते 2035 गांवों के लिए 6276 किलोमीटर तक नई सड़कों का जल्द ही निर्माण होगा, साथ ही 1142 गांवों की पूर्व में कट चुकी सड़कों को भी अपग्रेड किया जाएगा।

 

इस पहल के अन्तर्गत धरातल पर मूर्त रूप लेने पर 2.12 लाख आबादी को भी काफी लाभ मिलेगा। ओर इसके अलावा नंदा देवी कन्या धन (हमारी कन्या हमारा अभिमान) योजना के लाभ से वंचित 35088 लाभार्थियों को भी जल्द ही 15000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रादान की जायेगी। कैबिनेट ने इसके लिए 52.63 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत कर दी है। और इसके साथ ही लाभार्थियों ने वर्ष 2009-10 से लेकर 2016-17 तक आवेदन किए थे। सचिवालय में अयोजित कैबिनेट की बैठक में रखे गए अलग अलग विभागों से संबंधित 14 प्रस्तावों को पास होने के बाद स्वीकृति दे दी गई।

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सचिव मुख्यमंत्री शैलेश बगोली ने कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी भी मीडिया को दी है। कैबिनेट ने ग्रामीण निर्माण विभाग की तरफ से रखे गए 250 से कम आबादी वाले गांवों को सड़क से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। लोनिवि, पीएमजीएसवाई सहित और भी योजनाओं के मानकों के दायरे में न आने के कारण ऐसे गांव, तोक और  मजरे सड़क से नहीं जुड़ पा रहे थे। मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना में इन सभी गांवों को मुख्य मार्ग से जोड़ने के साथ ही सड़क निर्माण के अलावा पैदल पुलिया, मोटर पुल, झूलापुल, अश्वमार्ग निर्माण भी प्रस्तावित किए जाएंगे।

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योजना के आकार लेने पर सुदूरवर्ती क्षेत्रों के गांवों में पर्यटन, आजीविका विकास से जुड़ी सभी गतिविधियों में वृद्धि होगी। ओर इसके साथ ही आपदा और आकस्मिकता की स्थिति में राहत व बचाव कार्यों में भी आसानी होगी। ग्रामीण निर्माण विभाग को 10 दिन के अंदर इस योजना की कार्य योजना, मानक प्रचालन कार्यविधि, बजट की व्यवस्था सहित और बिंदुओं पर समग्र प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। योजना के लिए सरकार बजट में प्रावधान भी करेगी। और  धनराशि जुटाने के लिए नाबार्ड से भी उनकी  मदद ली जाएगी। अगले वित्तीय वर्ष से यह योजना धरातल पर उतरेगी। जिसमें लगभग करीब पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी।

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