उत्तराखण्ड किच्छा

भारत के कानूनो की घोर अवमानना कर किये जा रहे अपराध पर तत्काल रोक लगाने हेतु दिया लिखित शिकायत पत्र , और उठाया सवाल…

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इन्टरार्क के मजदूर प्रतिनिधियों ने मुख्य कारखाना निरीक्षक श्रमायुक्त उत्तराखण्ड को इन्टरार्क कंपनी प्रबंधक  द्वारा किए जा रहे ठेकेदारों के लाइसेंस के दुरुपयोग पर रोक लगाने ,ठेका श्रम अधिनियम 1970 ,स्थाई आदेश अधिनियम 1946 एवं कंपनी के प्रमाणित स्थाई आदेशों व कारखाना अधिनियम 1948 के उल्लंघन पर रोक लगाने एवं वर्तमान समय में भी कंपनी में भारत के इन तीनों कानूनो की घोर अवमानना कर किये जा रहे अपराध पर तत्काल रोक लगाने हेतु दिया लिखित शिकायत पत्र और उठाया सवाल कि ALC और DLC  के नोटिस ज्यादा महत्वपूर्ण हैं या भारतीय कानून।

 

 

सवाल उठाया कि शासन व जिला प्रशासन द्वारा भारत देश के उक्त तीनों कानूनों को इंटरार्क कंपनी में ब्यवहार में लागू कराया जायेगा या फिर कंपनी मालिक को इनका निरन्तर चीर हरण व अवमानना करने की जारी रहेगी खुली छूट? सवाल उठाया कि आखिर शासन प्रशासन को भारत के उक्त तीनों कानूनों की उक्त तीनों कानूनों की मर्यादा बनाये रखने की तुलना में इंटरार्क कंपनी मालिक से क्यों है इतना प्यार कि कंपनी मालिक को भारत देश के उक्त तीनों कंनूनों को हाथ में लेकर तोड़कर रौंदने की दे दी गई है खुली छूट?

 

 

 

10/10/2022 को इन्टरार्क मजदूर संगठन के मजदूर नेताओं द्वारा श्रम अधिकारी को बताया गया कि इंटरार्क कंपनी प्रबंधक सिडकुल पंतनगर और किच्छा द्वारा अपने मनमाने तरीकों को अपनाते हुए निम्न प्रकार श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा और भारतीय कंनूनों को हाथ में लेकर खुलेआम चीरहरण कर उन्हें रौंदा जा है ।

 

 

यह कि प्रतिष्ठान के दोनों प्लांटों में कंपनी मालिक अरविंद नंदा , कारपोरेट के उच्च अधिकारी महेश वर्मा , प्लांट हेड मनोज कुमार रोहिल्ला, एच.आर. हैड बी.वी. श्रीधर द्वारा ठेकेदारों के लाइसेंस का घोर उल्लंघन कर अप्रशिक्षित ठेका मजदूरों को खतरनाक मशीनों एवं मुख्य उत्पादन क्षेत्रों में नियोजित कर जानमाल से खिलवाड़ किया जा रहा है। जबकि श्रम विभाग द्वारा ठेकेदारों को कंपनी में लोडिंग व अनलोडिंग एवं कैंटीन ,सिक्योरिटी के कामों को कराने को ही लाइसेंस जारी किये गए हैं। वर्तमान समय में जबकि सिडकुल पंतनगर और किच्छा स्थित दोनों प्लांटों के स्थाई मजदूर अपनी प्राणरक्षा को 7 सितंबर 2022 से सामुहिक कार्यबहिष्कार पर हैं लेकिन सेवायोजक द्वारा ऐसे समय में भी अप्रशिक्षित ठेका मजदूरों की मुख्य उत्पादन क्षेत्रों एवं स्थाई प्रक्रिया के कार्यो में भारी संख्या में भर्ती कर उक्त  कंपनियों को मुख्यतः ठेका मजदूरों के बल पर ही चलाया जा रहा है। जबकि कंपनी भारी इंजीनियरिंग उद्योग है।कंपनी मालिक व प्रबंधन एवं ठेकेदारों का यह कृत्य ठेकेदारों के लाइसेंसो का घोर उल्लंघन है। भारत के कानून -ठेका श्रम(विनियमन एवं उत्सादन) अधिनियम 1970 की धारा -10 ,धारा -22 ,धारा -23 एवं धारा -24 आदि का घोर उल्लंघन है। यह अपराध (क्राइम) विगत लंबे समय से कंपनी में निरन्तर चल रहा है और वर्तमान समय में भी निरन्तर जारी है।

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यह कि प्रतिष्ठान उपरोक्त के प्रमाणित स्थाई आदेशों में यह प्रतिबंध किया गया है कि कंपनी में स्थाई प्रकृति के कामों को सिर्फ स्थाई मजदूर ही करेंगे। साथ ही आपको यह भी अवगत कराना है कि श्रमिक प्रतिनिधियों के संशोधन प्रस्ताव को स्वीकार कर स्थाई आदेशों के प्रमाणितकर्ता अधिकारी द्वारा स्थाई आदेशों में यह संशोधन आदेश दिनाँक-,02/02/2018 को पारित किया गया है कि कंपनी में फिक्स टर्म के तहत श्रमिकों को नियोजित करना प्रतिबंधित होगा। किन्तु कंपनी मालिक अरविंद नंदा ,कारपोरेट के उच्च अधिकारी महेश वर्मा  ,प्लांट हेड मनोज कुमार रोहिल्ला  ,एच.आर. हैड बी.वी. श्रीधर आदि द्वारा कंपनी में फिक्स टर्म के तहत अप्रशिक्षित मजदूरों की भर्ती कर उन्हें स्थाई प्रकृति के कामों में नियोजित कर उनसे खतरनाक मशीनों एवं मुख्य उत्पादन क्षेत्रों में कार्य कराया जा रहा है। जो कि कंपनी के प्रमाणित स्थाई आदेशों ,भारत देश के स्थाई आदेश अधिनियम-1946 की घोर अवमानना है। यह गैरकानूनी कृत्य विगत लंबे समय से निरन्तर जारी है।स्थाई आदेशों के प्रमाणितकर्ता अधिकारी/ व उपश्रमायुक्त से अनगिनत बार शिकायत करने के पश्चात भी उन्होंने उक्त गैर कानूनी कृत्यों एवं भारत देश के उक्त कानून के हो रहे इस चीरहरण व अवमानना पर रोक लगाना तो बहुत दूर की बात है इस संदर्भ में कंपनी मालिक के विरुद्ध न तो कोई कार्रवाई की गई और नोटिस तक जारी न किया गया बल्कि मौन धारण किये हुये है। और ऐसे गैरकानूनी कृत्यों को बढ़ावा देने का प्रकारांतर से स्वयं ही वाहक बने हुए हैं।

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यह कि उपरोक्त कंपनी मालिक व प्रबन्धक  विगत लंबे समय से कंपनी के  दोनों प्लांटों में मजदूरों से नियमविरुद्ध अतिकाल (ओवरटाइम) में उत्पादन कार्य करा रहे हैं। 7 सितंबर 2022 से जबसे कंपनी के दोनों प्लांटों के स्थाई मजदूर सामुहिक कार्यबहिष्कार पर हैं तबसे मजदूरों को अतिकाल पर पशुवत तरीके से नियमविरुद्ध तरीके से रोकने का सिलसिला और अधिक बढ़ गया है। दोनों कंपनियों में मजदूरों को निरन्तर 12 घण्टे व 16 घण्टे की शिफ्ट में रोककर नियमविरुद्ध अतिकाल में कार्य कराया जा रहा है। कई मजदूरों को विगत कई सप्ताह से कंपनी में चौबीसों घण्टे रोका जाता रहा है और बहुत अधिक समय तक अतिकाल में कार्य  कराया गया। श्रमिकों को साप्ताहिक अवकाश पर भी काम पर बुलाया जा रहा है। इसकी पुष्टि दोनों प्लांटों के मुख्य प्रवेश द्वार पर एवं कार्यस्थल पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को देखकर आसानी से की जा सकती है।

 

 

 

सेवायोजक द्वारा मजदूरों को अतिकाल पर नियमविरुद्ध रोके जाने का ऐसा कृत्य गंभीर आपराधिक कृत्य है। हमारे प्यारे भारत देश के कानून – कारखाना अधिनियम अधिनियम 1948 की धारा- 64(4) की उपधारा (i) उपधारा (iii)और उपधारा (iv) आदि का घोर उल्लंघन है। हमारे प्यारे भारत देश के  कानून का चीरहरण करने एवं घोर बेइज्जती करने की साजिश एवं कृत्य है। जो कि वर्तमान समय में भी निरन्तर जारी है। जबकि भारत देश के उक्त कारखाना अधिनियम -1948 की इन धाराओं में किसी भी दिन काम के घण्टों की संख्या 10 घण्टे से अधिक नहीं होगी ,सप्ताह में अतिकाल के घण्टों की कुल संख्या  12 घण्टे से अधिक न होगी  एवं तीन माह में अतिकाल के घण्टों की संख्या 50 घण्टे से अधिक न होगी का प्रतिबंध लगाया गया है।

 

 

किंतु इंटरार्क कंपनी मालिक को इसकी कोई भी परवाह नहीं है।और मजदूरों को इससे कई गुना अधिक घण्टों तक अतिकाल कराया जा रहा है ।और भारत के इस कानून को बुरी तरह से रौंदा जा रहा है ।

 

 

उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि इन्टरार्क बिल्डिंग प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड  के पंतनगर एवं किच्छा दोनों प्लांटों में भारत देश के इन तीनों कानूनों की घोर अवमानना एवं उल्लंघन हो रहा है, उन्हें रौंदा जा रहा है ।इसलिए न्यायहित में इन अपराध (क्राइम) पर व्यवहार में तत्काल रोक लगाने को आप महोदय का तत्काल हस्तक्षेप अनिवार्य है।

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अतः महोदय से निवेदन है कि प्रतिष्ठान उपरोक्त में चल रही ऐसी ग़ैरकानूनी गतिविधियों पर व्यवहार में तत्काल रोक लगाकर भारत देश के कानूनों की अवमानना पर रोक लगाकर मजदूरों के जानमाल के साथ हो रहे खिलवाड़ पर रोक लगाने की कृपा करें।

 

 

 

अन्यथा प्रार्थी यूनियन आपके कार्यालय के समक्ष सामुहिक प्रदर्शन करने और 18 नवंबर 2022 को किच्छा में आयोजित मजदूर- किसान महापंचायत में निर्णायक कदम उठाने को विवश होंगे।जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी कंपनी के मालिक प्रबंधकों एवं श्रम अधिकारियों व शासन प्रशासन की होगी। आज हुई सभा को सम्बोधित करते हुए यूनियन अध्यक्ष दलजीत सिंह ने कहा कि एक तरफ कंपनी मालिक और प्रबंधन द्वारा कंपनी में भारत के उक्त तीनों कंनूनों को हाथ में लेकर खुलेआम रौंदा जा रहा है ।

 

 

जबकि इस दौरान पुलिस निरन्तर कंपनी में मौजूद है ।और जिला प्रशासन के इशारे पर पुलिस कंपनी में ठेका व फिक्स टर्म के तहत कार्यरत अप्रशिक्षित मजदूरों को कंपनी के भीतर करवाने में कंपनी मालिक की खुलेआम मदद कर रही है ।उक्त गैरकानूनी कृत्यों का विरोध करने पर पुलिस DLC व ALC से लिखवाकर लाने की बात करती है ।जब DLC व ALC द्वारा कंपनी को भेजे नोटिस दिखाये जाते हैं और उक्त तीनों कंनूनों को दिखाया जाता है तो भी पुलिस कंपनी मालिक का ही भरपूर साथ दे रही है ।अब सवाल यह है कि हमारे भारत देश के कानून ज्यादा महत्वपूर्ण या फिर मूकदर्शक बने ALC  व DLC? सवाल यह है कि भारत के उक्त तीनों कानून कंपनी में ब्यवहार में लागू होंगे कि नहीं ?और इन्हें कौन लागू करायेगा?भारतीय कानूनों की उक्त घोर अवमानना पर रोक लगाने को जिलाधिकारी ,उपजिलाधिकारी और पुलिस के अधिकारियों की कोई जिम्मेदारी नहीं है ?सबसे महत्वपूर्ण यह है जिले के मुखिया की उक्त कंनूनों के उल्लंघन के लिए कोई जवाबदेही नहीं बनती है ?

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