उत्तराखण्ड लालकुआं

जंगली हाथियों ने जमकर मचाया उत्पात, श्मशान घाट में आश्रम को भी जंगली हाथियों ने किया क्षतिग्रस्त….

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बीती रात्रि को नैनीताल बरेली हाईवे पर स्थित श्मशान घाट में टांडा जंगल से आए जंगली हाथियों ने जमकर उत्पात मचाया था और श्मशान घाट में आश्रम को भी जंगली हाथियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था। इस दौरान श्मशान घाट के बाबा किस्मत नाथ और उनके कुछ साथियों ने भागकर बमुश्किल अपनी जान जंगली हाथियों से बचाई।

 

 

 

 

हालांकि आश्रम क्षतिग्रस्त हुआ मगर कोई जनहानि नहीं हुई यह अच्छी बात रही। मगर गौर करने वाली बात यह है कि अंत में सबको श्मशान घाट में ही पंचतत्व में विलीन होना पड़ता है बावजूद इसके श्मशान घाट के क्षतिग्रस्त आश्रम को अभी तक ठीक करने के लिए किसी संस्थान या विभाग ने जहमत नहीं उठाई है।

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विदित रहे कि अब तक श्मशान घाट में नगर पंचायत लालकुआं द्वारा कार्य किए जाते रहे हैं मगर घटना के 18 दिन बीत जाने के बाद भी आश्रम को तत्काल दुरुस्त नहीं कराया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। यहां रहने वाले पुजारियों का कहना है कि वह डर के साए में रहने को मजबूर हैं और रात्रि में सर्द मौसम में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है उनकी मांग है

 

 

 

 

कि क्षतिग्रस्त आश्रम को जल्द से जल्द ठीक करवाया जाए और श्मशान घाट में एक बार मजबूत बाउंड्री वाल कर दी जाए ताकि यहां जंगली हाथियों और अन्य जंगली जानवरों का खतरा कुछ कम हो सके।

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अब पूरे प्रकरण में गौर करें तो हैरानी वाली बात यह सामने आती है कि यहां सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल जैसा बड़ा औद्योगिक घराना जिसके द्वारा सीएसआर के तहत कई पार्कों का सौंदर्यीकरण और कई पार्कों की देखरेख के अलावा कई जनहित के कार्य किए गए हैं

 

 

 

बावजूद इसके श्मशान घाट में ये कार्य सीएसआर के तहत नहीं कराया जाना भी दुर्भाग्यपूर्ण है, इसके अलावा लालकुआं और आसपास के क्षेत्रों में कई अन्य सरकारी और गैर सरकारी बड़े व छोटे औद्योगिक संस्थान भी हैं

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बावजूद इसके अभी तक लालकुआं के एकमात्र श्मशान घाट की क्षतिग्रस्त दीवारों को दुरुस्त करके आश्रम को ठीक नहीं कराया जाना भी कई सवाल खड़े करता है।

 

 

 

 

यहां रहने वाले बाबा किस्मत नाथ और उनके अन्य साथियों ने बताया कि आए दिन यहां जंगली जानवरों का भय बना रहता है व्यवस्थाएं सही नहीं होने के चलते वह सब डर के साए में जीने और रहने को मजबूर हैं।

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