नैनीताल- भगवान चित्रगुप्त जीवन में ज्ञान, सुख, समृद्धि का संचार करते है मान्यतानुसार भगवान चित्र गुप्त का पूजन दिवाली के दो दिन बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष द्वितीया को होता है । भगवान चित्रगुप्त यमराज के सहयोगी है तथा प्रत्येक मनुष्य के कर्मों का हिसाब बही खाता रखते है इसी आधार पर स्वर्ग नरक का निर्धारण होता है।अतः इस दिन भगवान चित्रगुप्त के साथ उनकी कलम एवम दवात की पूजा की जाती है।
चित्रगुत भगवान ब्रह्मा के १४ वे ऋषि पुत्र है वेदों और पुराणों के अनुसार श्री धर्मराज /चित्रगुप्त मनुष्यों एवं समस्त जीवों के पाप-पुण्य अच्छे एवम बुरे कर्मो का लेखा-जोखा रखने वाले न्यायब्रह्म हैं। विज्ञान ने कहा है कि हमारे मन में जो भी विचार आते हैं वे चित्र रुप में होते हैं। चित्रगुप्त व्यवसाय में उन्नति सहित बुद्धि, वाणी का प्रभाव बढ़ाते है.भैया दूज के दिन शुभ मुहूर्त में भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है जिसे कलम दावत पूजा भी कहते है चुकी हिसाब कलम दवात ही रखती है
भगवान चित्रगुप्त की पूजा में चित्रगुप्त की तस्वीर या मूर्ति, सफेद कागज, कलम, दवात, खाताबही, पीले वस्त्र, अक्षत्, फूल, माला, चंदन, कपूर, तुलसी के पत्ते, गंगाजल, शहद, धूप, दीप, नैवेद्य, मिठाई, फल, पान, सुपारी, तिल, पीली सरसों आदि. प्रयोग किए जाते है तथा उनका प्रार्थना मंत्र मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
है इसी दिन यमुना ने यमराज को आदर पूर्वक भोजन कराया था जिससे कई जीव आत्माओ को मुक्ति मिली इसी को भैया दूज कहते है ।भगवान ब्रह्मा जी के दिव्यांश, लेखनी के आराध्य, भगवान चित्रगुप्त जी के पूजन-दिवस तथा भाई दूज की बधाई ।
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