उत्तराखण्ड क्राइम रुद्रपुर

एस ओ सुंदरम शर्मा ने थाना ट्रांजिट कैंम्पउत्तराखंड मित्र पुलिस का नाम किया तार तार,पीड़ित से की बदसलूकी, मीडिया कर्मियों से भी की गाली गलौज……

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मानवता की मर्यादा तार तार,

रुद्रपुर-आपको बता दें रुद्रपुर थाना ट्रांजिट कैंम्प क्षेत्र के अंतर्गत गंगापुर गांव में किसी बात को लेकर अयूब खान नाम के लड़के के साथ उसके पड़ोस में रहने वाले लोगों ने मारपीट कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया और वह जैसे तैसे अपने घर में जान बचाकर पहुंचा तो फिर पीछे से आकर उसके साथ मारपीट की जिसकी वजह से वह डर के मारे फंदा लगाकर फांसी पर झूल गया जब इसकी सूचना बाहर गए उसके परिवार वालों को लगी तो आनन-फानन में उसके पिता मेराजुद्दीन ने थाना अध्यक्ष ट्रांजिट कैंम्प में दर्ज कराने गए तो उनकी प्रार्थना पत्र को फेंकते हुए उनके साथ गाली गलौज की और उन्हें थाने से भगा दिया जब इसकी सूचना मीडिया कर्मी और गांव वालों को लगी तो गांव वालों ने शव को पोस्टमार्टम के बाद थाना ट्रांजिट कैंम्प मैं रख दिया जब जाकर प्रार्थना पत्र लिया गया और रिसिविंग दी गई लेकिन जिस तरीके के साथ पीड़ित करता को प्रताड़ित किया गया

 

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वह बहुत अमान्य घटना की जिस बाप का जवान बेटा के साथ इतनी बड़ी घटना हुई हो और थाना अध्यक्ष उसके साथ मुलजिम जैसा बर्ताव करता हुआ और मीडिया कर्मी से गाली गलौज और जेल भिजवाने और महिलाओं के साथ उत्पीड़न करता हुआ देखा जा सकता है सवाल उठता है कि पीड़ित करता को पुलिस के ऊपर और डॉक्टर के ऊपर पूरा भरोसा होता है और पुलिस ही रक्षक की जगह राक्षस जैसी स्थिति पैदा कर ले तो वह मित्र पुलिस कहां से कहला शक्ति है एक तरफ प्रदेश के पुलिस महानिदेशक गुड वर्क पुलिस के नाम दे रहे हैं और दूसरी तरफ ऐसे थाना अध्यक्ष पुलिस का नाम बदनाम कर रहे हैं अब देखना है किस तरीके से प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी जहां पर एक तरफ जीरो ट्रेलर अपराध को खत्म करने की और भ्रष्टाचारी को जड़ से उखाड़ फेंकने की बात कर रहे हैं

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दूसरी तरफ ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को थाना अध्यक्ष की कमान देते हुए पब्लिक के बीच दहशत का नया माहौल पैदा हो रहा है इसलिए ऐसे अधिकारी को इतने संवेदनशील पद पर बैठे रहने का अधिकार नहीं है सरकार और जिले के वरिष्ठ प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों को चाहिए के ऐसेअधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए जनता को न्याय दिलाया जाए जिससे उत्तराखंड मित्र पुलिस का नाम की छवि खराब ना हो अब देखना है यह किस तरीके से ऐसे अधिकारियों खिलाफ प्रदेश के डीजीपी अशोक कुमार और डीआईजी नैनीताल इस पर क्या संज्ञान लेते हैं और पीड़ित करता को क्या इंसाफ मिलता है

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