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गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की चली आ रही है विशेष उपासना की परंपरा……..

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हर साल जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है गंगा दशहरा का पर्व……

नैनीताल- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु। गंगां वारि मनोहारि . भारतीय संस्कृति की परिचायक गंगा नदी को देवी के रूप में पूजित है. इसीलिए गंगा दशहरा का विशेष महत्व है. गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की विशेष उपासना की परंपरा चली आ रही है. पंचांग के अनुसार गंगा दशहरा का पर्व हर साल जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। अनुसार गंगा दशहरा का पर्व हर साल जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है.

 

इस दिन ना सिर्फ देवी गंगा की उपासना की जाती है बल्कि पवित्र नदी गंगा में स्नान भी किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पृथ्वी पर देवी गंगा का अवतरण हुआ था. गंगा नदी को देश की सबसे पवित्र नदी में गिना जाता है. धार्मिक मान्यता अनुसार इसमें नहाने से मानव जाति के सारे पाप धुल जाते है. कल-कल कर बहती गंगा का जिस दिन धरती में अवतरण हुआ था उसे गंगा दशहरा के रूप में मनाते है. इस दिन देश विदेश से लोग गंगा तट के किनारे स्नान व उसकी पूजा अर्चना के लिए पहुँचते है. गंगा दशहरा में दान व स्नान का बहुत महत्त्व है. कहते है अगर आपके आसपास गंगा जी नहीं है,

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तो आप कोई भी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें और गंगा जी के जाप का उच्चारण करें. इसके बाद गरीब जरुरत मंद को दान दक्षिणा दें. गंगा दशहरा का महोत्सव पुरे दस दिन तक मनाया जाता है. शिव की जटाओं में समाहित तथा राजा भगीरथ के तप से निकली गंगा भागीरथी एवं अलकनंदा के मिलने से देव प्रयाग में गंगा कहलाई ।गंगा ब्रह्मपुत्र मेघना विश्व का सबसे बड़ा नदी तंत्र है । 2510 किलोमीटर लंबी 1.32मिलियन वर्ग किलोमीटर बेसिन क्षेत्र एवा गंगा का डेल्टा है ।गंगा के साथ ग्लेशियर मार गंगोत्री के साथ नंदा देवी ,त्रिशूल, कमेट,सतोपंथ ,नंदा खाट,केदारनाथ शामिल है ।

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540 मिलियन लोग इस पर भोजन एवं ऊर्जा हेतु आधारित है। हरिद्वार , गढ़ ,कानपुर , प्रयागराज , गाजीपुर पटना , कोलकाता गंगा सागर तक इसके रूप मिलते है ।इस नदी में बड़ी संख्या में बैक्टेरियोफाग है जो जल को पवित्र बनाते है । गंगा हमारी मां , गौरव के साथ हमारी आस्था है । हिमालय से निकली गंगा ने भारत देश को अपने चरन कमलों से पवित्र कर दिया. इसके आने से देश के कई हिस्सों में पानी की किल्लत खत्म हो गई, लोगों को पानी मिलने से राहत पहुंची, साथ ही कहा जाता है पवित्र गंगा ने मनुष्यों के नरक जाने के रास्ते बंद कर दिए, क्यूंकि इस पर नहाने से पाप खत्म होते है. इसमें स्नान, दान और व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्वर्ग से गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए यह महापुण्यकारी पर्व माना जाता है।

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इन अवसरों पर गंगा नदी में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पर्व के गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। गंगाजल को सबसे अधिक पवित्र माना जाता है, जिसका उपयोग पूजा-पाठ में सबसे अधिक किया जाता है। गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानाम् शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति. गंगोत्री से गंगा सागर तक गंगा नदी को लगभग 108 अलग- अलग नामों से जाना जाता है। इन 108 नामों का पुराणों में भी जिक्र है, लेकिन इनमें से 11 नाम ऐसे हैं जिनसे गंगा को भारत के अलग-अलग इलाकों में जाना जाता है।

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