जिला अस्पताल में तैनात डॉ बलजीत कौर पर लगे मेडिकल बनाने के नाम पर रिश्वत लेने के आरोप
जिला अस्पताल में तैनात स्वास्थ्य कर्मी ने कबूला कि मेडिकल बनाने के नाम लिए गए थे पैसे
लिखित में देकर अपना पल्ला झाड़ा
रुद्रपुर-(एम् सलीम खान) जिले का जिला अस्पताल फिर एक बार सुर्खियों में आ गया है। जवाहर लाल नेहरू जिला अस्पताल में तैनात एक चिकित्सक पर मेडिकल बनाने के नाम पर मोटी रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं। वही पीड़ित का आरोप है कि इमरजेंसी डियूटी पर तैनात चिकित्सक ने दोनों पक्षों से रिश्वत ली, और पीड़ित पक्ष का मेडिकल गंभीर रूप से घायल होने की जगह मामूली चोटे दर्शाने के नाम दूसरे पक्ष से भी रिश्वत ली। जबकि चिकित्सक द्वारा पीड़ित पक्ष से रिश्वत ली गई।
वही इस पूरे मामले को उस समय और मजबूती प्रदान हो गई,जब जिला अस्पताल के एक स्वास्थ्य कर्मी ने इस बात की पुष्टि करते हुए,अपना बयान लिखित रूप में स्टाफ पेपर पर दर्ज कर दिया। जानकारी के मुताबिक रुद्रपुर की खेड़ा कालौनी निवासी शकील सैफी और जमीर सैफी का अपने ही पड़ोसी से किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। इस विवाद में जमकर लाठी डंडे चलें। जिसमें जमीर पुत्र अमजद के सिर में गंभीर चोटे आई। जिसके बाद घायल जमीर को अस्पताल पहुंचाया गया।
यह पूरा मामला 19 मार्च की देर रात का है।घायल जमीर का भाई शकील सैफी जब अपने भाई को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा तो,उस समय इमरजेंसी डियूटी में जिला अस्पताल की चिकित्सक डॉ बलजीत कौर डियूटी पर तैनात थी। उनके सहयोगी स्वास्थ्य कर्मी के रूप में किच्छा निवासी राहुल पुत्र राम अवतार भी डियूटी पर तैनात था। जिला अस्पताल में तैनात चिकित्सक डॉ बलजीत कौर ने गंभीर रूप से घायल जमीर का प्राथमिक उपचार करते हुए उसका मेडिकल बनाया, वही इस दौरान उन्होंने घायल के भाई शकील सैफी को अपने कक्ष में बुलाया और मेडिकल बनाने के एवज में रुपए की मांग की, शकील ने अपनी हैसियत के मुताबिक चिकित्सा अधिकारी डॉ बलजीत कौर को भाई के उचित उपचार और मेडिकल बनाने के लिए डा बलजीत कौर को सुविधा शुल्क के रूप में रुपए दे दिया।
वही उन्होंने उसे गंभीर बताते हुए हल्द्वानी के डा सुशील तिवारी अस्पताल में रैफर कर दिया। मामला उस समय खुलकर सामने आया जब शकील की तहरीर और मेडिकल के आधार पर पुलिस इस गंभीर मामले में मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। वही उस समय डियूटी पर तैनात स्वास्थ्य कर्मी राहुल पुत्र राम अवतार ने बताया कि 19 मार्च को रात्रि डियूटी पर तैनात चिकित्सक अधिकारी डॉ बलजीत कौर ने जमीर का मेडिकल परीक्षण कर मेडिकल बनाया,और मेडिकल बनाने के नाम पीड़ित के भाई शकील सैफी से रिश्वत के तौर पर रुपए लिए। उसने बताया कि उस दिन उसके अलावा एक अन्य स्वास्थ्य कर्मी भी रात्रि डियूटी पर तैनात था।
जिसने संबंधित इमरजेंसी डियूटी में तैनात डाक्टर को सुविधा शुल्क के रूप में रुपए दिए थे। स्वास्थ्य कर्मी ने बकायदा इस पूरे मामले को नान जूडिशल स्टाफ पेपर पर लिखित रूप में दिया है। वही उसने बताया कि संबंधित डाक्टर ने दूसरे पक्ष से भी सुविधा शुल्क लिया था। हालांकि यह बात खुलकर सामने नहीं आई है कि जिला अस्पताल की चिकित्सक द्वारा कितने पैसे लिए गए हैं। फिलहाल जिला अस्पताल में तैनात चिकित्सक के इस कारनामे ने सूबे की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की बेदाग छवि को धुमिल करने का काम किया है।
भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के दावे करने वाली धामी सरकार फिर से एक बार सवालों में घिर गई है। वही जब इस मामले पर बातचीत करने के जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा डीएस पचपाल से मुलाकात करने का प्रयास किया तो उन्होंने मिलने से साफ इंकार कर दिया। अपने कर्तव्य को पूरा करने के नाम पर पीड़ितों से सुविधा शुल्क वसूलने वाले इन चिकित्सकों के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सूबे का स्वास्थ्य महकमा क्या कदम उठाता है,यह तो इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के बाद ही सामने आएगा। फिलहाल भगवान का दर्जा दिए जाने वाले यह चिकित्सक जमकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।
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