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विवादित कृष्ण अस्पताल पर शिकंजा कसने की तैयारी, मासूम की मौत के मामले में हाईकोर्ट जाएंगे परिजन

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विवादित कृष्ण अस्पताल पर शिकंजा कसने की तैयारी

स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू

चिकित्सकों और अस्पताल स्टाफ की लापरवाही से मासूम पारिधी की हुई थी मौत

रुद्रपुर-(एम् सलीम खान) हमारे समाज में चिकित्सकों को भगवान का दर्जा दिया जाता है। लेकिन इस पवित्र पेशे को कुछ निजी अस्पतालों ने महज कमाई का धंधा बनाकर रख दिया है।हाल ही में रुद्रपुर की डाक्टर कालौनी स्थित कृष्णा अस्पताल में उपचार के दौरान एक साल तीन दिन की मासूम पारिधी की मौत हो गई थी।इस खबर को हमारे संवाददाता ने जोर-शोर से उठाया था। वही कहते हैं हमारे समाज में आज भी इन्सानियत जिंदा है।

इस खबर के प्रकाशन के बाद हाईकोर्ट की एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने गंभीरता से लेते हुए, हमारे संवाददाता एम सलीम खान से दूरभाष पर बातचीत करते हुए, पीड़ित परिवार को हाईकोर्ट से न्याय दिलाने की बात कही। जिसके बाद हाईकोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती नीमा पंत ने इस मामले को हाईकोर्ट तक ले जाने की मुहिम शुरू कर दी है। वरिष्ठ अधिवक्ता नीमा पंत का कहना है ऊधम सिंह नगर में ऐसे कई अस्पताल संचालित है, जो पैसे के अभाव के कारण वहां भर्ती मरीजों के साथ लापरवाही करते हैं।

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वही इन अस्पतालों में कम वेतन पर काम करने ऐसे स्टाफ को रखा जाता है, जिन्हें मेडिकल सेवाओं से संबंधित जानकारी नाम मात्र होती है।कम वेतन पर इन्हें अस्पताल में भर्ती किया जाता है। उन्होंने कहा कि मुझे तो हैरानी इस बात की है कि हमारे राज्य का स्वास्थ्य विभाग भी ऐसे अस्पतालों को आंख मींचकर अस्पताल संचालित करने की अनुमति दे देता है। जिनकी लापरवाही से कई लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे विवादित अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग का संरक्षण प्राप्त है, लेकिन अब ऐसे अस्पतालों पर अंकुश लगाना जरूरी हो गया। पंत ने इस पूरे मामले को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है।

 

आपको बता दें कि रुद्रपुर स्थित कृष्णा अस्पताल में भर्ती मासूम पारिधी के परिजनों ने अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ पारस अग्रवाल और अस्पताल स्टाफ पर बच्ची की मौत को लेकर लापरवाही बरतने के आरोप लगाएं थे।इस मामले में पुलिस ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ मंजूनाथ टीसी के निर्देश पर अस्पताल स्टाफ सहित वहां तैनात चिकित्सक डॉ गौरव अग्रवाल और डॉ पारस अग्रवाल से पूछताछ कर उपचार से संबंधित रिकार्ड अपने कब्जे में ले लिए थे वहीं पीड़ित पिता ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में उनसे तहरीर भी ली थी।

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यह पूरा मामला आदर्श कॉलोनी पुलिस चौकी प्रभारी सुरेंद्र प्रताप सिंह देख रहे हैं। हालांकि अभी तक स्थानीय पुलिस ने इस मामले में कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की है। आपको बता दें कि यह अस्पताल जिला चिकित्सालय में तैनात पूर्व चिकित्सक डॉ गौरव अग्रवाल की देखरेख में संचालित है। डा गौरव अग्रवाल कोविड काल में भी बड़े विवादों में घिरे रहे थे।उस समय कोरोना से होने वाली मौतों को लेकर मरीजों के परिजनों ने उन पर लापरवाही बरतने के आरोप लगाएं थे। जिसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

 

इसके बाद उन्होंने स्वयं का अस्पताल संचालित किया है। इससे पहले गुरुनानक इंटर कालेज के सामने उनकी निजी क्लीनिक संचालित थी। डा गौरव अग्रवाल के पिता नगर की गल्ला मंडी में कृष्णा बुक डिपो के नाम संचालित एक दुकान के स्वामी हैं।बाल रोग विशेषज्ञ डॉ पारस अग्रवाल उनके भाई है। हैरानी इस बात की है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी सूबे के स्वास्थ्य महकमे की नींद नहीं टूटी है।इस मामले की जानकारी जिले के स्वास्थ्य महकमे को भी दी गई थी। उत्तराखंड की धामी सरकार को भी स्वास्थ्य महकमे की यह हरकतें सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर रही है। गरीबों की आवाज दबाने का प्रयास कर रहे स्वास्थ्य विभाग इस मामले से अनजान बना हुआ है।

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आपको बता दें कि रुद्रपुर के कृष्णा अस्पताल का अभी तक उद्घाटन भी नहीं हुआ है। उद्घाटन से पहले ही इस विवादित अस्पताल में मौतों का सिलसिला शुरू हो गया है। वही अस्पताल के नजदीक चाय का स्टाल लगाने वाली महिला ने बताया कि जिस दिन मासूम बच्ची की बच्ची की मौत हुई,उसी दिन सुबह भी इलाज करने आए एक व्यक्ति की मौत इसी अस्पताल में हुई थी।

 

महिला के मुताबिक इस अस्पताल में उपचार करने वालें मरीजों की अक्सर मौत हो जाती है। वही अब इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड की वरिष्ठ अधिवक्ता नीमा पंत इस मामले को हाईकोर्ट तक ले जाने की तैयारी कर रही है। उनका कहना है कि वह इस मामले में पीड़ित परिवार को न्याय दिलाकर ही दम लेगी। वही इस मामले में स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी गई है।

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