लालकुआँ- नैनीताल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ द्वारा विभिन्न समाचार पत्रों में दूध में ज्यादा मात्रा में मेलामाइन मिलाने का आरोप “शीर्षक“ नाम से प्रकाशित खबर का खंडन करते हुए बताया कि जिले में दुग्ध संघ की ओर से बाजार में उपलब्ध कराये जा रहे दूध में भारी मात्रा में मैलेमाइन रसायन, एल्कोहल, दूध में क्लाॅटिंग इत्यादि पाये जाने की प्रकाशित खबर पूर्णतः तथ्यहीन एवं निराधार व द्वेष भावना से प्रेरित है।
जिस सम्बन्ध में सामान्य प्रबन्धक नैनीताल दुग्ध संघ निर्भय नारायण सिह द्वारा बताया गया कि विगत 16 दिसम्बर को कुछ समाचार पत्रो में प्रकाशित आंचल दूध में मिलावट के आरोपो को खारिज करते हुए कहा कि नैनीताल दुग्ध संघ लालकुआ द्वारा उपयोग किये जा रहे दूध को प्रत्येक स्तर पर संस्था की प्रयोगशाला में जांचोपरान्त राज्य स्तरीय सेन्ट्रल डेरी लैब द्वारा परीक्षण के बाद ही उपयोग में लाया जाता है। उन्होने कहा कि किसी व्यक्ति द्वारा दुष्प्रचार की नियत से तथ्यहीन एवं आधारहीन बाते आंचल के खिलाफ समाचार पत्रों में प्रकाशित की गई है
जो हतप्रभद एवं आंचल ब्राण्ड को प्रभावित करने वाली प्रतीत होती है। सामान्य प्रबन्धक द्वारा बताया गया कि नैनीताल दुग्ध संघ लालकुआँ में प्राप्त दूध राज्य स्तरीय सेन्ट्रल डेरी लैब से 26 मानकों एवं नैनीताल दुग्ध संघ लालकुआँ के लैब से 29 मानकों पर परीक्षण के उपरान्त जिनमें एसिडिटी एम.बी.आर.टी.,एल्कोहल,मैलामाईन इत्यादि अपमिश्रण टैस्ट के बाद ही नैनीताल दुग्ध संघ द्वारा उपयोग में लाया जाता है। उन्होने कहा कि कोई भी दूध से सम्बन्धित सेन्ट्रल लैब व अन्य लैबो से परीक्षण के बाद ही स्वीकार किया जाता है,
यदि दूध खराब पाया जाता है तो उस दूध को वापस या डिस्पोज कर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त दुग्ध संघ के पास अत्याधुनिक उपकरण मिल्को स्क्रीन तथा एफटीआईआर बेस्ड मिल्क एनालाइजर से उपार्जित दूध तथा एफएसएसआई मानक के अनुसार ही दूध एवं दुग्ध उत्पाद के समस्त प्रकार की जांचोपरान्त ही दूध बाजार में उपभोक्ताओं को विक्रय हेतु उपलब्ध कराया जाता है। जिसमें किसी भी प्रकार की मिलावट की सम्भावना नही रहती है।
सामान्य प्रबन्धक निर्भय नारायण सिह द्वारा उपभोक्ताओं से अपील कर कहा कि दुग्ध संघ द्वारा बाजार में उपलब्ध कराये जा रहे आंचल दूध एंव उससे बने उत्पादो में किसी भी प्रकार के मिलावट के आरोप तथ्यहीन निराधार एवं मिथ्या होने के साथ ही द्वेषभावना से प्रेरित है और जो डेरी सहकारिता से जुड़े लाखों दुग्ध उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं की भावनाओं एवं व्यवसाय के लिए उचित नही है। जिसका इस संस्था की ओर से खण्डन किया जाता है।
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