नैनीताल। भारत के प्राचीन ग्रंथ, वेद और पुराणों में पहले ही पर्यावरण संरक्षण के संबंध् में विस्तृत जानकारी है। पर्यावरण के लिए इनका अनुसरण किया जाना चाहिए। विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित वेबिनार में प्राधिकरण के सचिव सिविल जज सीनियर डिवीजन इमरान मोहम्मद खान ने कहा वेदों में भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर वर्णन किया गया है। प्रकृति को शुद्ध रखने के लिए आज से नहीं बल्कि हजारों सालांे से प्रयाय किए जा रहे हैं। ब्रिटिश काल के दौरान भी कई अधिनियम पर्यावरण संरक्षण के लिए पारित किए गए जैसे शोर न्यूसेंस एक्ट 1853, ओरिएण्टल गैस कंपनी ऐक्ट 1857, भारतीय दंड संहिता 1860 मैं भी पर्यावरण दूषित करने वाले व्यक्तियों के लिए दंड का प्रावधान है। वह बताते हैं कि पर्यावरण के बारे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्टॉकहोम में कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई। उसके बाद पर्यावरण संरक्षण के लिए कई देश आगे आए और कानून पारित किए गए। भात ने भी सन् 1974 में वॉटर प्रिवेन्शन ऐंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन एक्ट पास किया। 1976 में संविधान के अध्याय चार ए में ये मौलिक कर्तव्य भी जोड़ा कि सभी नागरिक पर्यावरण को सुरक्षित रखेंगे। 1980 में फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट, 1981 में एयर प्रिवेंशन ऐंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन एक्ट, 1986 में इन्वाइरनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट पारित किया गया। उन्होंने बताया कि राइट टू हैल्थ को भी सुप्रीम कोर्ट ने मौलिक अधिकार माना है। ऐसे में हम सभी का दायित्व है कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आगे आए और इसका संरक्षण् संवर्द्धन करें, ताकि हमारी आने पीढ़ियां सुरक्षित रह सकें।
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