काशीपुर-( सुनील शर्मा) मनुष्य के शरीर का बेहद महत्वपूर्ण अंग हृदय है लेकिन धन की आकांक्षा ने उसे स्वयं का दुश्मन बना दिया है। हृदय संबंधी समस्याएं जैसे उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप, हृदय शूल, हृदय की धड़कन का असामान्य होना, हृदय की वॉल्व संबंधी समस्याएं, हृदय की मांसपेशियों का कमजोर होना आदि आज बेतहाशा बढ़ रही हैं। हृदय शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त का संचरण करता है। हृदय ऑक्सीजन से भरपूर रक्त धमनियों के जरिए प्राप्त करता है। यदि इन रक्त धमनियों में रूकावट आ जाती है तो हृदय की मांसपेशियों को रक्त प्राप्त नहीं होता और वे मर जाती है इसे हृदयाघात कहते हैं। इन सभी समस्याओं का समाधान है योगाभ्यास | योगाभ्यास के नियमित अभ्यास से हृदय और शरीर की सभी समस्याओं से रोगमुक्त हुआ जा सकता है।
*हृदय को स्वस्थ रखने के लिए योगासन है जरुरी*
कपालभाति प्राणायाम
ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए नियमित कपालभाति प्राणायाम करना चाहिए | कपालभाति प्राणायाम से धमनियों पर दबाव कम हो जाता है जिससे हृदय रोग की संभावना भी घट जाती है। हृदय रोगियों को प्राणायाम मध्यम व धीमी गति से करना चाहिए। प्राणायाम का अभ्यास हृदय रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद सिद्ध होता है। प्राणायाम नियमित रूप से 20 से 25 मिनट तक करने से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है। शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। प्राणायाम से संपूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त होता है यह ना केवल कोलेस्ट्रॉल को कम करता है बल्कि धमनी के अवरोध को दूर करने में मददगार है।
अपान वायु मुद्रा
अपान वायु मुद्रा हृदय रोग में बेहद लाभकारी है। अपान वायु मुद्रा को मृतसंजीवनी मुद्रा भी कहा जाता है। यह हृदय रोग और शुगर दोनों में कार्य करती है। यह मुद्रा ब्लॉकेज भी खोलती है। इसका अभ्यास 15 मिनट से लेकर 1 घंटे तक किया जा सकता है। अपान वायु मुद्रा करने के लिए दोनों हाथों को घुटने पर रखें फिर तर्जनी उंगली और अनामिका उंगली को अंगूठे से छुएं तथा पहली और आखिरी उंगली को सीधा रखें। अपान वायु मुद्रा किसी भी समय किया जा सकता है।
सूर्य नमस्कार
योगासन शरीर में प्राण की गति को बढ़ाता है। सूर्य नमस्कार को 10 से 12 बार अवश्य करना चाहिए । यह 12 योगासनों का योग है जो बेहतर कार्डियो है । यह हार्ट के लिए बहुत ही लाभदायक है। यह शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ बनाता है | सूर्य नमस्कार से न सिर्फ ह्रदय रोग कम होंगे बल्कि शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बढाने वाले इस योग के अनेक फायदे हैं |
इनके अलावा त्रिकोणासन, उष्ट्रासन, सेतुबंधासन, नौकासन, गोमुखासन,अनुलोम-विलोम और भुजंगासन के नियमित अभ्यास से भी हार्ट अटैक से बचा जा सकता है। हृदय रोगियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। आने वाले समय में भारत में हृदय रोगियों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक हो जाएगी। हृदय को अच्छा रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है अपने आहार पर ध्यान देना। साथ ही शारीरिक व्यायाम और पर्याप्त नींद लेना भी जरूरी है।
*जाने योग गुरु की सलाह*
योग गुरु मंगेश त्रिवेदी के अनुसार जो लोग हृदय संबंधी किसी गंभीर समस्या से ग्रस्त हैं, उन्हें योग्य मार्गदर्शन में अपनी क्षमता का ध्यान रखते हुए यौगिक क्रियाओं का अभ्यास करना चाहिए। ऐसे लोगों के लिए सूक्ष्म यौगिक व्यायाम बहुत कारगर होते हैं। इनके अतिरिक्त सिद्धासन, पद्मासन, ताड़ासन, गोमुखासन, बज्रासन, जानुशिरासन, मेरू वक्रासन, पवनमुक्तासन, मरकट आसन, तितली आसन, एक पाद उत्तानासन आदि सरल आसनों का अभ्यास करना चाहिए। योग गुरु ने बताया कि जिन्हें हृदय संबंधी रोग नहीं है, उन्हें अपने हृदय को जीवनपर्यंत निरोग, स्वस्थ तथा सशक्त बनाए रखने के लिए उपर्युक्तं यौगिक आसनों का अपनी क्षमतानुसार तथा योग्य मार्गदर्शन में अभ्यास करते रहना चाहिए। इनमें प्रमुख हैं सूर्य नमस्कार, शीर्षासन, सर्वांगासन, उत्थित पद्मासन, बक्रासन, पश्चिमोत्तानासन, सुप्त बज्रासन, अर्ध्यमत्स्येन्द्रासन, त्रिकोणासन, नौकासन, हलासन, धनुरासन, भुजंगासन आदि।
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