रुद्रपुर

रुद्रपुर में एक कंपनी की लापरवाही से हुई मजदूर की मौत

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रुद्रपुर -(शादाब हुसैन)  ऑटो कॉम पानशाह में कंपनी की लापरवाही से एक मजदूर की मौत आपको बता दें ऑटो कॉम पानाशाह में  किस तरीके से लापरवाही हो रही है आप खुद देख सकते हैं क्योंकि सरकारी मानक के आधार पर कोई भी कार्य कंपनी के अंदर मानक के आधार पर नहीं हो रहा है कुलदीप नाम का मजदूर जिसकी उम्र लगभग 30 से 32 साल की रही होगी वह इस कंपनी में ठेकेदारी पद पर काम करने आया था कंपनी के अंदर 3 दिन हुए थे उसको काम करते हुए जिसको ना तो उसकी मेडिकल जांच कराई गई और ना ही वहां पर कोई एंबुलेंस की सुविधा कंपनी के अंदर है सवाल यह उठता है कि जिस कंपनी में डेढ़ सौ आदमी काम करते हैं उस कंपनी में मानक के आधार पर कोई भी कार्य नहीं किया जा रहा है ना तो किसी वर्कर के पास मार्क्स पाया गया नाही सेफ्टी शूज पाए गए और ना ही सर पर हेलमेट लगे पाए गए आपको बता दें कुलदीप नाम का व्यक्ति इस कंपनी में मजदूर की जगह पर काम करने के लिए 3 से 4 दिन पहले ठेकेदारी में लगाया गया था जिसकी उम्र लगभग इस 32 साल की रही होगी वह कंपनी में काम कर रहा था उत्तराखंड खबर नामा की टीम ने जब जानकारी जुटाई तो बताया गया कि वह मजदूर पानी पीने के लिए गया था और पानी पीने के बाद उसको चक्कर से आने लगे और वहां पर चटपटा कर गिर गया उसके बाद जैसे कि वहां के एचआर मैनेजर वीरेंद्र और वहां के कांट्रेक्टर ने बताया कि उसको मुंबई हॉस्पिटल ले जाया गया मुंबई हॉस्पिटल वालों ने मना कर दिया लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर मुंबई हॉस्पिटल उसको ले जाया गया तो उसके डिस्चार्ज का या उसके दिखाने का कोई पर्चा तो होना चाहिए था लेकिन ऐसा कुछ नहीं पाया गया उसके बाद मेडिसिटी हॉस्पिटल ले जाया गया वहां भी मना कर दिया गया सवाल यह उठता है इतनी देर तक उस मरीज को ले जाकर यह घूमते रहे लेकिन कहीं भी समय से इलाज उसका नहीं कराया गया अगर वाकई में यह प्राइवेट हॉस्पिटल में लेकर गए थे तो उन्होंने क्यों नहीं उसको एडमिट किया या एडमिट नहीं कराया यह भी एक जांच का विषय है जब हमने गहनता से जांच की ठेकेदार का यह कहना था 8:00 बजे की घटना है सवाल ये उठता है 8:00 बजे की घटना है तो 8:30 बजे तक हॉस्पिटल में कैसे लेकर आ गए जबकि सीट कुल से बॉम्बे हॉस्पिटल की दूरी लगभग 5 से 6 किलोमीटर है और बॉम्बे हॉस्पिटल से मेडिसिटी हॉस्पिटल की दूरी इतनी ही है तो आधे घंटे के अंदर इतनी जल्दी कैसे सब जगह इन्होंने उस मरीज को दिखा दिया यह भी एक संदिग्ध के घेरे में ठेकेदार की भूमिका महसूस हो रही है जब के लड़के के परिवार वाले बता रहे हैं कि 8:30 बजे उनके सूचना मिल गई क्या आपके लड़का सरकारी हॉस्पिटल के अंदर है लड़के के परिवार वाले जब वहां पर पहुंचे तो एक कार के अंदर उसको लिटा रखा था सवाल ये उठता है इतनी बड़ी कंपनी होने के बाद भी मां पर एंबुलेंस की सुविधा क्यों नहीं दी गई क्या एंबुलेंस की आवश्यकता है उस कंपनी के अंदर नहीं है या किसी कारणवश किसी की तबीयत खराब हो जाती है और उसको ऑफ रीजन की आवश्यकता पड़ती है तो जब तक यह ऑक्सीजन की व्यवस्था कर आएंगे तब तक तो वर्कर क हालत और बिगड़ जाएगी इसलिए कंपनी को चाहिए एडवांस में एक एंबुलेंस कंपनी के अंदर ऑक्सीजन सहित रहनी चाहिए थी लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं कंपनी अपनी खामियों को छुपाने के लिए वहां पर स्पॉन्सर भी तैनात रखती है उसी क्रम में कंपनी का एक स्पॉन्सर ने जो वहां पर सिक्योरिटी का ठेका है जिसका उसने मीडिया कर्मी से भी बदतमीजी की और कहा कि हम किसी भी तरीके की वाइट तुझे नहीं देंगे और तुझे हम देख लेंगे सवाल ये उठता है इस तरीके की बदमाशी हॉस्पिटल के अंदर खुलेआम कंपनी के ठेकेदार एक मीडिया कर्मी से करता है उसके खिलाफ प्रशासन क्या एक्शन लेता है यह भी एक जांच का विषय है सवाल ये उठता है कब तक मजदूर और लेबर का कंपनी वाले इस तरीके से शोषण करते रहेंगे और शासन-प्रशासन और सरकार पूंजीपतियों की इशारे पर नाचते रहेगा क्योंकि किसी कंपनी में हाथ कटता है किसी कंपनी में उंगली कटती हैं मजदूर की जान जाती है और शासन प्रशासन के अधिकारी लीपापोती कर कर अपने कर्तव्य को निभा लेते हैं शासन को चाहिए जितनी भी कंपनी हैं एक बार शक्ति से मानक का पालन होना चाहिए प्रदूषण से लेकर लेबर कांट्रेक्टर तक उनके रजिस्ट्रेशन उनका क्राइम रिकॉर्ड कंपनी के अंदर सेफ्टी की क्या सुविधाएं हैं मशीनें कितनी पुरानी है मानक का पालन हो रहा है या नहीं कंपनी के एंबुलेंस है या नहीं फायर की सुविधा है या नहीं यह यहां के प्रशासन को चाहिए की इसकी जांच की जाए ताकि किसी का बच्चा अपनी जान ना गवाए कोई अपना हाथ ना कटवाए क्योंकि मरने वाला कुलदीप नाम का व्यक्ति का 4 साल का बच्चा है और दूसरा बच्चा उसका दुनिया में 3 से 4 महीने के बाद आने वाला है उसके बच्चे का और उसकी बीवी का भविष्य अंधकार में पड़ गया है उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा शासन को चाहिए कि उसके साथ न्याय क्या जाए क्योंकि कंपनियों के अंदर जिस तरीके से मानक का पालन नहीं किया जा रहा है यह बहुत बड़ी घटना को संकेत दिख रहा है कभी भी किसी भी कंपनी के अंदर किसी टाइम भी कोई भी बड़ी अप्रिय घटना घट सकती है कंपनी के ऊपर किसी भी तरीके से फर्क नहीं पड़ता है उल्टा उसके परिवार वालों को प्रताड़ित किया जाता है मीडिया वालों के साथ भी गलत सलूक किया जाता है धमकी दी जाती है और कहा जाता है कि तुम्हें हम देख लेंगे इसलिए शासन और प्रशासन से मांग करते हैं ऑटोकॉम पां नासा के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए और सिक्योरिटी कॉन्टैक्टर के खिलाफ भी मीडिया कर्मी के साथ जो बदतमीजी की गई है सिक्योरिटी कांटेक्ट के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए

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