काशीपुर

मंदी की मार से मरता इंसान, कर्जदार ने उठाया ऐसा क़दम……..देखे वायरल वीडियो

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काशीपुर – [उवैस सिद्दीकी(युके हेड)] डेढ़ साल से एक अदृश्य दुश्मन से हमारी जंग चल रही है, लेकिन इस जंग से बडी जंग हर इंसान लड रहा है वो है खुद को बचाने और अपने परिवार को भूख से बचाने की जंग, हर वर्ग हर तबका कोरोना के संकट से जूझ रहा है, लेकिन जो इस जंग को लड़ने में नाकाम रहे उन्होंने खुदखुशी जैसा कदम उठाकर खुद की जीवनलीला समाप्त कर ली, ऐसा ही एक मामला काशीपुर में सामने आया है जहां कर्ज के बोझ तले दबे एक फैक्ट्री मालिक ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली और मरने से पहले एक वीडियो वायरल करते हुए खुद का दुख बयां किया।

कोई दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहा तो कोई अपनी जिन्दगी की जद्दोंदहद को बचाने में लगा है, तो कोई अपनी साख बचाने के लिए लड रहा है, सबसे नीचे का तबका जो दो दिन की रोटी के लिए रोज घर से निकलता था और शाम होते ही अपने बच्चों की रोटी के लिए चंद रुपये कमाता था आज वो रोटी के लिए मोहताज है, तो घर में चूल्हा कैसे जले, एक वो तबका जो मध्यम वर्ग में आता है, जिसके पास हर माह के अंत में कुछ पैसे घर चलाने के लिए आते है, और उसी में उसने परिवार को पालना है और अपने शौक भी पुरे करने है, अचानक इस महामारी के चलते किसी की नोकरी छुट गयी तो कोई महिने की तन्ख्वाह के लिए भी मोहताज हो गया, एसे में समाजिक रुप से अपनी प्रतिष्ठा बचाना भी उसके लिए भारी हो गया, घर का लोन, कार का लोन,या फिर घर की अन्य जरुरतों के लिए बैंक का कर्जदार ये मध्यम वर्ग का व्यक्ति आज उस कर्ज को चुकाने में नाकामयाब है और इस बोझ से खुद को नहीं अभार पा रहा है, वहीं मध्यम वर्ग से उपर का वर्ग सम्पन्न जरुर है मगर उसने भी अपने हाथ पैर इतने फैला लिए कि आज वो आय बंद हो चुकि और अब कम आय में फैले हुए हाथों को समेटना उसके लिए भी मुश्किल हो गया है।

        वहीं कहने को तो वह फैक्ट्री के मालिक है  लेकिन कोरोना महामारी ने मंदी की ऐसी मार मारी की काशीपुर के रहने वाले ये फैक्ट्री मालिक सकील अहमद भी इस महामारी की मंदी को नहीं सह पाया और इतना कर्ज के बोझ तले दब गया कि अपनी आपबीती बयां करने के बाद खुदकुशी कर ली, कुण्डेश्वरी चौकी क्षेत्र में पशु आहार की फैक्ट्री में ही फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। आप खुद ही सुनिये मंदी की मार का दर्द।

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       वहीं पुलिस को इस मामले की सूचना मिलते ही पुलिस ने फांसी पर लटके शव को अपने कब्जे में लेते हुए पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है, और जिनके द्वारा फैक्ट्री मालिक पर अनावश्यक दबाव बनाकर शोषण किया गया उनकी भी जांच पुलिस कर रही है, पुलिस का कहना है कि जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार कार्रवाही अमल में लायी जाएगी।

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        कहने को यह है कि हर कोई अपनी तकलीफो में जरुर है मगर किसी से कहने की स्थिति में नहीं, एसे में ये लॉकडाउन और कोरोना महामारी ना जाने फिर से कितनी तकलीफें बढाने वाला है, पिछले साल के भी कुछ आंकड़े एसे थे जब कर्ज के बोझ में लोगों ने अपनी जीवन लीला को ही समाप्त कर दिया था, वहीं किसी तरह से उभरने की कोशिश की तो फिर से लॉकडाउन ने लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी। लगातार व्यापार की मंदी ना जाने अभी कितनों के घरों के चिराग बुझाएगी, लेकिन इस संकट से कैसे उभरा जाए इसका कोई रास्ता भी किसी को नहीं दिखाई देता।

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