उत्तराखण्ड लालकुआं

गौला नदी में खनन शुरू होने से पहले ही गरमा गई राजनीति निकासी गेटों में वाहन स्वामियों ने नहीं भेजें हैं अपने वाहन

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लालकुआ (ज़फर अंसारी) लालकुआ राजस्व के मामले में कुमाऊं की सोने की खान कहीं जाने वाली गौला नदी में खनन शुरू होने से पहले ही राजनीति गरमा गई है। यहां लालकुआं, हल्दूचौड़ और देवरामपुर सहित तमाम खनन निकासी गेटों में वाहन स्वामियों ने अपने वाहन नहीं भेजें हैं उन्होंने अनिश्चितकाल के लिऐ हड़ताल शुरू कर दी है। वही वाहन स्वामियों का कहना है कि जब तक सरकार रॉयल्टी के दामों में कमी नहीं करती और उन्हें भाड़ा बढ़कर नहीं मिलता तब तक वह खनन कार्य में अपने वाहनों को नहीं भेजेंगे। बताते चले कि गौला नदी से होने वाले खनन व्यवसाय से लाखों लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं और रोजगार पाते हैं साथ ही सरकार को भी भारी राजस्व मिलता है लेकिन इस बार वाहन स्वामियों के अपने वाहन नदी में नहीं भेजे जाने से सरकार के राजस्व को भी नुकसान पहुंच रहा है। इधर गौला संघर्ष समिति लालकुआं निकासी गेट के अध्यक्ष जीवन कबडवाल ने जानकारी देते हुए बताया की गौला नदी और नंधौर नदी की रॉयल्टी 32 रुपये है जबकि अन्य क्षेत्रों की नदियों की रॉयल्टी इससे काफी कम है वही पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों की वजह से भी वाहन स्वामियों को फायदा नहीं मिल पा रहा है इसके अलावा सरकार ने समतलीकरण के नाम पर क्रशर स्वामियों को गड्ढा खोदने की अनुमति दे दी है जिसकी रॉयल्टी की कीमत लगभग 8 रुपये के आसपास है ऐसे में जब क्रेशर स्वामियों को सस्ता उपखनिज गड्ढों से प्राप्त हो रहा है तो वह नदियों से उपखनिज क्यों लेंगे

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