उत्तराखण्ड हरिद्वार

कुंभ में भारतीय संस्कृति के रंग रहे विदेशी श्रद्धालु,,विदेशों से पहुंचे महानिर्वाणी अखाड़े की पेशवाई में

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हरिद्वार (वंदना गुप्ता) कुंभ मेला हरिद्वार 2021 में धर्म संस्कृति और दुनिया से जुड़े विभिन्न रूप हमें देखने को मिल रहे हैं कनखल स्थित दक्ष मंदिर में आयोजित महानिर्वाणी अखाड़े की पेशवाई में विदेशी श्रद्धालु आकर्षण का केंद्र रहे और कुंभ की शोभा बढ़ाते हुए नजर आए हालांकि कोरोना संक्रमण की वजह से विदेशी श्रद्धालु इस बार कुंभ मेले के दौरान काफी कम संख्या में पहुंचे हैं बावजूद इसके यह विदेशी यहां हमारी धर्म और संस्कृति को देखकर अभी भूत होते नजर आ रहे हैं और हमारी संस्कृति को देखकर समझकर काफी कुछ सीख भी रहे है विदेशी श्रद्धालुओं के साथ हरिद्वार महानिर्वाणी अखाड़े की पेशवाई में शिरकत करने विदेश से पहुंचे विश्व गुरु महामंडलेश्वर स्वामी महेश्वरानंद पूरी जी महाराज का कहना है कि विदेश में हमारे द्वारा कई देशों में आश्रम है जहां लोगो को योग सिखाया जाता है यह विदेशी भी हमारी संस्कृति और सभ्यता से इतने प्रभावित है कि यह सभी सात्विक रहते है सुद्ध शाकाहारी भोजन खाते है हमारे साथ करीब 500 से ज्यादा विदेशी हरिद्वार कुम्भ मेलेमें शिरकत करने आने वाले थे मगर कोरोना संक्रमण की वजह से हम विदेशी श्रद्धालुओ को कम संख्या में लेकर हरिद्वार शिरकत करने पहुचे है योग भारत की देन है वास्तव में योग भारत ने विदेशो को दिया है हरिद्वार कुम्भ मेले में हमारे धर्म संस्कृति और सभ्यता से रूबरू होने के लिए यूरोप से हरिद्वार पहुची विदेशी श्रद्धालु रागनी देवी का कहना है कि हम अपने विश्व गुरु के साथ हरिद्वार कुम्भ मेले में शिरकत करने दुनिया के विभिन्न देशों से आए है हम गुरु जी के शिष्य है और रोजाना योग करते है गुरु जी के साथ इस कुम्भ मेले में आकर हम अपने आप को धन्य मानते है इस सभ्यता का हिस्सा बनने से हम गौरवान्वित मसहूस कर रहे है दुनिया मे कई संस्कृति खत्म हो चुकी है हमे चाहिए कि हम अपनी संस्कृतियों को जिंदा रखे इस बार हमे यहां कुम्भ मेले में काफी कुछ सीखने को मिला है और पिछले 25 सालों से ज्यादा समय से गुरु जी के शिष्य है हरिद्वार कुंभ मेला 2021 में विदेशी साधु संतों के साथ विदेशी श्रद्धालु भले ही काफी कम संख्या में हरिद्वार पहुंच शिरकत कर रहे हो बावजूद इसके यह विदेशी श्रद्धालु हमारी संस्कृति सभ्यता से काफी कुछ सीख रहे हैं वही यह श्रद्धालु हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति से काफी प्रभावित भी नज़र आ रहे है

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