हल्द्वानी। (शेर अफगान) राज्य विधानसभा के चुनावों के एक साल का समय बचा है लेकिन नेताओं ने अभी से तैयारियां करनी शुरू कर दी है। नेताजी भले ही किसी पार्टी के हों उनके शैड्यूल को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है उन्होंने आगामी चुनावों के लिए अपने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। ज्ञात हो कि 2021 में राज्य विधानसभा के पांचवे चुनाव होने वाले हैं और इसमें लड़ने वाले संभावित दावेदारों ने सियासी माहौल की टोह लेकर अपनी तैयारियां परखनी आरंभ कर दी है। आजकल पूर्व में चुनाव लड़ चुके नेताजी अपनी दिनचर्या में अपनी संभावित क्षेत्र में मतदाताओं से मिल रहे हैं और वहां के निर्धनों व जरूरतमंदों को कंबल आदि का वितरण कर उनकी टोह भी ले रहे हैं। वहीं जो नये नवेले भावी उम्मीदवार हैं वे भी अपने लिए स्थान तलाशने में लगे हैं। इधर हल्द्वानी में एक नेताजी जो पिछले दस सालों से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं वे इसके लिए कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे हैं और लगे हाथ दूसरी विधानसभा में भी अपने दावेदारी को खोजने में लगे हुए हैं। हालाकि जो नेताजी चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं, वे कोरोना काल से ही मास्क, राशन आदि बांटकर अपने लिए जमीन तलाशने में लगे हुए थे। एक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि एक नेताजी ने अपने घर में मास्क व सेनेटाइजर का ढेर लगा दिया और उन्होंने मास्क व सेनेटाइजर का वितरण अधिकतर उन विधानसभाओं में किया जहां से उनकी उम्मीद पूरी होने की संभावनाएं थी। वहीं चुनाव लड़ने वाले नेताजी विधानसभा क्षेत्र में यह भी पता करने में लगे हैं कि अगर किसी मरीज की हैल्प की जाये तो पहले उस परिवार के कितने वोटर हैं और उनका रूख क्या रहेगा। इस समीकरण को भी ध्यान में रखकर उस परिवार की मद्द की जा रही है। इधर भावी प्रत्याशी प्रचार के लिए भी कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। वे फ्लैक्सी, बैनर लगाकर त्योहार, उत्सव की बधाई देने से पीछे नहीं रह रहेे हैं। वहीं नये साल के मौके पर लोगों को बधाई आदि का भी संदेश देना नहीं भूल रहे हैं जिससे लोगों के बीच उनका प्रचार हो सके। वहीं सोशल मीडिया में भी नेताजी ने विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से ग्रुप बनाये हैं और इनमें सक्रियता देखे जा सकती है। वहीं अन्दरखाने लोगों के बीच में कुछ नेताजी के मध्यस्थ भी हैं जो लोगों व नेताजी के बीच में सेतुद्वार का कार्य करते हैं।
कैलेंडर व डायरी का भी लिया जा रहा है सहारा
हल्द्वानी। नये साल के मौके पर कैलेंडर व डायरी में एक नेताजी का फोटो भी छपा है और वे अपने मिलने वालों को इसको बांटते हैं। हो भी क्यों नहीं। आखिर जो चुनाव आ रहे हैं। इस बहाने प्रचार भी हो जायेगा और लोगों को डायरियां और कैलेंडर भी मुफ्त में मिल जाया करेंगे। इसे कहते हैं कि एक पंथ दो काज।
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