नैनीताल- कुमाऊं विश्वविधालय निदेशक शोध प्रो ललित तिवारी ने मानव संसाधन केंद्र द्वारा फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम में औषधीय पौधो की खेती तथा उपयोगिता , भूमिका पर व्याख्यान दिया । प्रो,ललित तिवारी ने कहा की अश्विनी कुमार और ऋषि च्यवन ने अष्टवर्ग पौधे खोज जीवन को एक नई दिशा दी है तो श्रुसृत संहिता ने इस ज्ञान को आगे बड़ाया ।
कोविड काल और उसके बाद पौधो का महत्व फिर बढ़ गया है ।इसलिए इनके संरक्षण के साथ प्रकृति को सतत विकास में ले जाना होगा । उत्तराखंड के पहाड़ों में खेती पूर्ण रूप बंद हो गई है ।इससे रोकना होगा तथा इन्ही में औषधीय पौधो की खेती प्रारंभ करना बेहतर मुहिम होगी । इसे पाली हाउस में भी किया जा सकता है ।
जंगलों से औषधीय पौधो की पूर्ति को कम करना तथा उनकी खेती पर जोर देना होगा ।उत्तराखंड की जलवायु में औषधीय पौधो की अपार संभावना है तथा उससे यह का आर्थिक तंत्र बदल सकता है इसके लिए बाजार को भी मोड़ सकते है। इनमें लाइकैन ,ब्राह्मी , आस्टवर्ग के साथ थुनेर सहित नींबू खुमानी ,पुलम , अखरोट भी शामिल हो सकते इसके लिए कानून की जरूरत है।।कार्यक्रम में प्रो तिवारी ने ऑनलाइन व्याख्यान दिया।
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