नैनीताल- कुमाऊं विश्वविधालय के विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय तथा एलुमनी सेल द्वारा पद्मश्री डॉक्टर यशोधर मठपाल द्वारा प्रागैतिहासिक उत्तराखंड विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान दिया। डॉ मठपाल की 50 पुस्तके ,250 शोध पत्र ,20 हजार से ज्यादा चित्र प्रकाशित है। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी,उत्तराखंड लोक संस्कृति गीतधाम भीमताल की 1983 में स्थापना करने वाले डॉ मठपाल को पदम श्री ,कलाश्री ,हिन्दू रत्न ,उत्तराखंड गौरव ,कुमाऊं गौरव , कालिदास चित्र किला सम्मान ,ग़ुफ़काल विशेषज्ञ सम्मान , संस्कार भर्ती सम्मान सहित फ्रांस में अतिथि प्रोफेसर मिल चुका है।
इटली ,पुर्तगाल ,,अमेरिका ,ब्रिटेन , स्विटरगजलैंड,ऑस्ट्रेलिया में डॉ यशोधर मठपाल की कला का प्रदर्शन हो चुका है। डॉ मठपाल के कार्यों पर शोध भी किया जा चुका है। डॉ मठपाल नए व्याख्यान में कहा कि कुमाऊं विश्वविधालय में पुरातत्व विभाग शुरू किया जाय। उत्तराखंड में रामपीथिकस के अवशेष मिले जो सबसे पुराना अवशेष है । यह का हिमयुग भी सबसे पुराना रहा है। उत्तराखंड का प्रागैतिहासिक काल महत्पूर्ण रहा है किंतु केवल 300 साल की जानकारी ही आती है ।
डॉ मठपाल ने उत्तराखंड के पुरातत्व की दृष्टि से संवेदन शील स्थानों को बताते हुए कहा कि इन्हें संरक्षित किया जाय कार्यक्रम का संचालन निदेशक विजिटिंग प्रोफेसर तथा महासचिव एलुमनी सेल प्रॉफ ललित तिवारी ने किया तथा डॉ मठपाल का परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में प्रॉफ अनिल जोशी , प्रॉफ सीडी शूटा ,,डॉ ललिता जोशी , प्रॉफ गीता तिवारी , ,डॉ युगल जोशी , भूपेंद्र सिंह ,डॉ नवीन पांडे ,प्रकाश पांडे ,डॉ हेम , प्रॉफ रमेश जोशी ,प्रॉफ नीलू ,प्रॉफ सुषमा ,टम्टा ,डॉ संतोष उपाध्याय ,डॉ पैनी जोशी , डॉ नंदन बिष्ट ,
प्रॉफ वीणा पांडे , डॉ नवीन पांडे , डॉ कुलभूषण ,डॉ नंदन मेहरा, दीपा ,,अंकित ,डॉ दिव्य पांगती , गरिमा ,डॉ गोकुल ,इंदर रौतेला ,डॉ किरण तिवारी , डॉ लज्जा भट्ट , स्वाति , डॉ सुषमा जोशी , शालिनी , डॉ पूजा डॉ शिवराज ,आदि शामिल रहे
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