उत्तराखण्ड ज़रा हटके रुद्रपुर

क्षेत्र में देखने को मिली अनोखी कहानी, शव यात्रा को श्मशान घाट पहुंचने पर सब रह गए भौचक्के…

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रुद्रपुर-क्षेत्र में देखने को मिला एक अनोखा मामला जब परिवार के ही लोग घर से दाह संस्कार को निकली शवयात्रा में जहां शवयात्रा के शमशान घाट पहुंचने पर सब भौचक्के रह गए। शवयात्रा से जब शव को निकाला गया, तो उसमें पुतला निकला। शमशान के पंडित का कहना है कि जब शव के दहन को लेकर सवा कुंतल लकड़ी ली गई, तो उन्हें शक हुआ। क्योंकि दाह संस्कार में कम से कम तीन से चार कुंतल लकड़ी इस्तेमाल होती है।

 

जिसके बाद शव के दाह स्थल पर देखा तो वहां किसी प्रकार की कोई हड्डी नहीं मिली। जिसपर सूचना कमेटी को दी गई। तत्तपश्चात कमेटी ने सूचना पुलिस को दी। पंडित ने बताया कि संस्कार हेतु करीब 25-30 लोग आए थे और पूरे विधि विधान के साथ संस्कार किया। वहीं परिवार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस शव की एंट्री निरस्त कर दो। जिसपर मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित चौकी में सूचना दर्ज कराई है।

 

11 साल पहले लापता युवक की उसके ही सौतेले भाई ने बिहार में पुश्तैनी जमीन के विवाद में पत्थर से सिर और गले पर वार कर हत्या की थी। बाद में उसकी लाश बोरे में बंद कर नाले में फेंक दिया था। इस रहस्य से परदा तब उठा जब पुलिस ने अज्ञात शवों की शिनाख्त को अभियान चलाने के साथ ही तीन साल से पुराने विवेचनाओं के निस्तारण को अभियान चलाया। इस दौरान मृतक की पत्नी के शक के आधार पर जब पुलिस उसके देहरादून में रह रहे सौतेले भाई तक पहुंची तो वह अपने किए की माफी मांगने रुद्रपुर आ गया। इसकी सूचना पर पुलिस ने उसे दबोच लिया और सख्ती से पूछताछ करने के बाद उसने हत्या की बात कबूल कर ली। पुलिस ने आरोपित के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर जेल भेज दिया है।

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एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि मूलरूप से बिहार, जिला मधुवनी, थाना घजुवा, ब्लॉक विस्पी और हाल सुभाष कालोनी निवासी कृष्णा देवी ने एक अगस्त 2011 को सूचना दी कि उसका पति भोनू साहनी 23 जुलाई 2011 से लापता है। जब वह लापता हुआ तब वह बिहार में थी और इसकी जानकारी उसके बच्चों ने दी। इस पर पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी थी। भोनू साहनी के संबंध में जानकारी न मिलने पर पुलिस ने एफआर लगा दी थी। लेकिन उसकी पत्नी कृष्णा देवी ने एफआर से संतुष्ट नहीं थी।

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एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर चले लावारिस शवों की शिनाख्त और तीन साल से पुराने विवेचनाओं के निस्तारण के निर्देश दिए गए थे। इस पर मोनू साहनी के मामले की जांच बाजार चौकी प्रभारी संदीप शर्मा को सौंपी गई। इस पर पुलिस कृष्णा देवी से मिली। इस दौरान कृष्णा देवी ने बताया कि उसके पति के लापता होने के पीछे उसके सौतेले देवर छुटकन साहनी का हाथ है। बताया कि बिहार में पुश्तैनी जमीन को लेकर उसके पति भोनू साहनी और छुटकन का विवाद चल रहा था। आसपास के लोगों से जब पुलिस ने जानकारी ली तो पता चला कि भोनू के गायब होने से कुछ दिन पहले उसकी छुटकन से विवाद भी हुआ था। जिसके बाद वह भोनू साहनी का मकान छोड़कर दूसरी जगह चला गया था।

 

एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि इस पर पुलिस टीम सीओ सिटी अभय सिंह और कोतवाल विक्रम राठौर, एसएसआइ सतीश चंद्र कापड़ी के नेतृत्व में छुटकन साहनी के संबंध में जानकारी जुटाने में जुट गई थी। इस दौरान पता चला कि छुटकन साहनी चूना भट्टा, अघोई वाला, थारा रायपुर, देहरादून में रह रहा है। जिसके बाद पुलिस टीम देहरादून गई और छुटकन साहनी से पूछताछ की लेकिन वह पुलिस को गुमराह करता रहा। छुटकन को पता चल गया था कि पुलिस को भोनू साहनी की हत्या की जानकारी हो गई है, जिसके बाद वह शनिवार को सुभाष कालोनी में अपनी भाभी कृष्णा देवी से माफी मांगने आया।

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इसकी जानकारी मिलने पर पुलिस टीम ने उसे दबोच लिया। एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि पूछताछ में उसने जमीनी विवाद में हत्या की बात कबूल की। बताया कि 23 जुलाई 2011 की रात को रेलवे स्टेशन रोड पर भोनू साहनी उसे मिला। इस दौरान उसने अपने सौतेले भाई भोनू साहनी को धक्का देकर पहले नीचे गिराया और फिर पत्थर से सिर और गले पर कई वार किए। जिससे उसकी मौत हो गई थी। बाद में उसने उसकी लाश को कट्टा में डाला और रिक्शे में रखकर रोडवेज स्टेशन के पास से बहने वाले नाले में फेंक दिया था। इस पर पुलिस ने छुटकन साहनी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर जेल भेज दिया है।

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