
हल्द्वानी – हल्द्वानी के प्रतिष्ठित एमबीपीजी कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हजारों छात्र-छात्राएं इन दिनों बेहद असुविधाजनक परिस्थितियों में अपनी शिक्षा पूरी करने को मजबूर हैं। कुमाऊं अंचल के सबसे बड़े और पुराने महाविद्यालयों में शुमार एमबीपीजी में शैक्षणिक संसाधनों की भारी कमी देखने को मिल रही है।
कॉलेज के पुस्तकालय में पाठ्यक्रम से संबंधित किताबों की भारी कमी है। विद्यार्थियों को नई शिक्षा नीति के तहत अद्यतन पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है, लेकिन उपलब्ध किताबें पुरानी, जीर्ण और अप्रासंगिक हो चुकी हैं। किताबों की यह कमी इस कदर गंभीर हो चुकी है कि छात्रों को निजी स्तर पर महंगी किताबें खरीदनी पड़ रही हैं।
किताबें न होने से पढ़ाई प्रभावित
राजनीति विज्ञान तृतीय सेमेस्टर की छात्रा नीलम बताती हैं कि वह पुस्तकालय से किताबें लेने गई थीं, लेकिन उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि किताबें उपलब्ध नहीं हैं। नीलम बताती हैं कि उन्होंने मजबूरी में 450 रुपये की किताबें खरीदी हैं, जबकि वह एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं।
बीकॉम द्वितीय सेमेस्टर के छात्र मोहित ने बताया कि पुस्तकालय में उपलब्ध किताबें कई साल पुरानी हैं और उनमें से कुछ का पाठ्यक्रम अब बदला जा चुका है। उनका कहना है कि यदि कॉलेज प्रशासन और शासन समय पर नई किताबों की व्यवस्था नहीं करता है, तो यह छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
पुराने छात्र किताबें लौटा नहीं रहे, नए छात्र परेशान
कॉलेज प्रशासन का कहना है कि पुस्तकालय में किताबों की कमी का एक बड़ा कारण यह भी है कि कई पुराने छात्र पुस्तकें ले जाने के बाद उन्हें वापस नहीं कर रहे हैं। इससे पुस्तक भंडार में भारी गिरावट आई है। वर्तमान में कॉलेज में 13,500 से अधिक छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं, जिनमें से अधिकांश कम आय वाले परिवारों से आते हैं और निजी स्तर पर महंगी किताबें खरीद पाना उनके लिए संभव नहीं है।
फर्नीचर की भारी कमी, बैठने में परेशानी
पुस्तकालय की ही तरह कॉलेज की कक्षाओं में भी मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है। कई कक्षाओं में फर्नीचर इस हद तक खराब हो चुका है कि छात्रों को खड़े रहकर या फर्श पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। छात्रों का कहना है कि सरकार ने जहां 75 प्रतिशत उपस्थिति को अनिवार्य किया है, वहीं छात्रों के बैठने के लिए बुनियादी व्यवस्थाएं भी नहीं दी जा रहीं।
प्रशासनिक पहल ठप, छह माह से प्रस्ताव स्वीकृति का इंतज़ार
कॉलेज प्रशासन ने करीब छह महीने पहले शासन को किताबों और फर्नीचर की खरीद के लिए 15 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर भेजा था। लेकिन इतने समय के बावजूद प्रस्ताव को अभी तक मंज़ूरी नहीं मिल सकी है।
प्राचार्य प्रो. एन.एस. बनकोटी ने बताया कि जैसे ही शासन से स्वीकृति प्राप्त होगी, तुरंत किताबों और फर्नीचर की खरीद की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पुराने छात्रों से अपील की गई है कि वे पुस्तकालय की किताबें जल्द लौटाएं ताकि वर्तमान विद्यार्थियों को पढ़ाई में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
छात्रों की मांग – हो कड़ी कार्रवाई और शीघ्र समाधान
छात्र-छात्राओं ने शासन और कॉलेज प्रशासन से गुहार लगाई है कि जो छात्र किताबें लौटाने में लापरवाही कर रहे हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, शासन को प्रस्तावों की स्वीकृति में हो रही देरी को संज्ञान में लेते हुए कॉलेज की स्थिति को प्राथमिकता के आधार पर सुधारना चाहिए।

