
लालकुआं – देशभर में आतंकी अलर्ट के बाद जहां सुरक्षा एजेंसियां चौकसी बढ़ा रही हैं, वहीं नैनीताल जिले के प्रवेश द्वार लालकुआं में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त नजर आ रही है। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार ने सीमाओं को हाई अलर्ट पर रखने के आदेश दिए हैं, लेकिन लालकुआं में न तो तकनीकी निगरानी है, न ही पुलिस व्यवस्था।

बिना पुलिस, बिना निगरानी — चेकपोस्ट पर पसरा सन्नाटा
लालकुआं चेकपोस्ट पर न CCTV कैमरे काम कर रहे हैं, न बिजली की व्यवस्था है, और न ही कोई पुलिसकर्मी तैनात है। वहां लगे कैमरे कई महीनों से बंद पड़े हैं और चेकिंग का कोई इंतजाम नहीं है। यह स्थिति उस वक्त और खतरनाक हो जाती है जब देश में सुरक्षा को लेकर सख्त चौकसी की जरूरत है।
शहर में बंद पड़े कैमरे, खतरे की खुली छूट
लालकुआं के मुख्य बाजार, चौराहों और सार्वजनिक स्थलों पर लगे कैमरे या तो खराब हैं या उनका रिकॉर्डिंग सिस्टम निष्क्रिय पड़ा है। निगरानी की जिम्मेदारी किसी पर नहीं है और तकनीक बस दिखावे के लिए है।
प्रशासन की चुप्पी: कौन लेगा जिम्मेदारी?
स्थानीय प्रशासन की चुप्पी और पुलिस की निष्क्रियता से जनता में गुस्सा है। कोतवाली प्रशासन से लेकर जिला स्तर तक कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हुई है।
स्थानीय लोग सवाल कर रहे हैं:
“क्या कोई बड़ी घटना होने के बाद ही प्रशासन जागेगा?”
“क्या आम जनता की सुरक्षा सिर्फ कागजों पर है?”
सीमा पर खतरा मंडरा रहा, आदेशों की उड़ रही धज्जियां
नैनीताल और ऊधमसिंह नगर की सीमा जो लालकुआं होकर गुजरती है, वहां कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं है। यह स्थिति राज्य सरकार के सुरक्षा आदेशों की सीधी अनदेखी है।
जनता बोली “अब तो जागो सरकार!”
लोगों की मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द शहर में CCTV सिस्टम को ठीक कराए, चेकपोस्टों पर पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित करे, और पूरे क्षेत्र में सक्रिय निगरानी व्यवस्था लागू करे।
वरना ये ढीलापन एक दिन किसी बड़े खतरे में बदल सकता है।
