उत्तराखण्ड हरिद्वार

IMA ने की बाबा राम देव पर केस दर्ज करने की मांग, बाबा ने आखिर ऐसा क्या कह दिया ऐलोपैथी पर,,पढ़े पूरी खबर,,,,,,,,

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हरिद्वार पिछले कई दिनों से बाबा रामदेव का एक वीडियो सोशल मिडिया पर तेज़ी से वायरल  हो रहा है. इस वीडियो में वह इलाज की ऐलोपैथी पद्धति को निशाना बनाते दिख रहे हैं. उनके बयानों पर विवाद भी शुरू हो गया है. डॉक्टरों के संगठन IMA ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बाबा रामदेव से माफी मांगने की मांग भी की है

 आइये जानते है आखिर क्या है पूरा सच

बाबा रामदेव एक मंच पर बैठे दिखते हैं. वह माइक की मदद से दावा करते हुए कहते हैं, कि

गजब का तमाशा है, ऐलोपैथी एक ऐसी स्टुपिड और दिवालिया साइंस है कि पहले क्लोरोक्वीन फेल हुई, फिर रेमडेसिविर फेल हो गई, फिर एंटीबायोटिक फेल हो गए, फिर स्टेरॉयड फेल हो गए. फिर प्लाज्मा थेरेपी के ऊपर भी कल बैन लग गया. और बुखार के लिए जो दे रहे हैं फैबिफ्लू, वह भी फेल है. जितनी भी दवाएं दे रहे हैं. ये तमाशा हो क्या रहा है.

बुखार की कोई दवाई कोरोना पर काम नहीं कर रही, क्योंकि आप बॉडी का टेंपरेचर उतार देते हैं लेकिन टेंपरेचर जिस कारण से आ रहा है उस वायरस को, उस बैक्टीरिया को, उस फंगस को, जिस कारण से भी बुखार हो रहा है, उसका निवारण तुम्हारे पास में है नहीं. तो कैसे ठीक करोगे. इसलिए मैं बहुत बड़ी बात कह रहा हूं. हो सकता है कि इस पर कुछ लोग विवाद करें. लाखों लोगों की मौत ऐलोपैथी की दवा खाने से हुई है.

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वीडियो में बाबा रामदेव कहते हैं कि जितने लोगों की मौत हॉस्पिटल ना जाने के कारण हुई है, ऑक्सीजन ना मिलने के कारण से हुई है. बाबा का कहना है कि उससे ज्यादा लोगों की मौत ऑक्सीजन के बावजूद हुई है, और ऐलोपैथी की दवा मिलने के बावजूद हुई है. स्टेरॉयड के कारण भी लोगो ने अपनी गवाई है. लोगो को भी समझ नहीं आ रहा है कि अब क्या करें इसलिए अभी लाखों लोगों की मौत का कारण ऐलोपैथी है.

और बाबा बताते हुए कहते है मैं कहता हूं कि ऐलोपैथी पूरी खराब नहीं है. मॉडर्न साइंस का हम स्वागत करते हैं. मॉडर्न साइंस हमारा विरोध नहीं है लेकिन उसमें इस्तेमाल किए जाने वाले अलग अलग जो मेडिसन्स हैं, जो थ्योरीज हैं, फाइंडिंग्स हैं, झूठी रिसर्च हैं, बाबा रामदेव ने विरोध कहा है.

 आइये जानते है बयान के विरोध में डॉक्टर की पीढा

बाबा रामदेव ने ऐलोपैथी के खिलाफ बयान में जो भी कहा है, उससे तमाम डॉक्टर और डोक्ट्रो के समूह भी नाराज़ नज़र आए है 22 मई को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस मामले पर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है. IMA ने अपने बयान में बताया कि अभी तक 1200 से अधिक डॉक्टर कोरोना महामरी के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. और अब भी  सभी, संसाधनों और मैनपावर में कमी के बाद भी इस बीमारी को हराने के लिए जुटे हुए है IMA के बयान में कहा गया है,

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ये आधुनिक ऐलोपैथी पर कीचड़ उछालने की कोशिश है. योग गुरू ने कहा है कि ऐलोपैथी स्टुपिड और दिवालिया साइंस है. पहले वो आदरणीय स्वास्थ्य मंत्री की मौजूदगी में डॉक्टर्स को कातिल बोल चुके हैं जहां उन्होंने अपनी वंडर ड्रग पेश की थी. ये भी एक फैक्ट है कि योग गुरु और उनके सहयोगी बालकृष्ण बीमार होने पर खुद आधुनिक मेडिकल ऐलोपैथी ट्रीटमेंट ले चुके हैं. अब वह ऐसे दावे इसलिए कर रहे हैं ताकि अपनी दवाइयों को बेच सकें.

“DCGI द्वारा मंज़ूर की गई रेमडेसिविर, फैबीफ्लू और अन्य दवाइयों को बाब ने फेल बता दिया और कहा कि लाखों लोगों की मौत ऐलोपैथी की दवाई के कारण हो रही है बाबा का यह बयान DCGI पर बहुत सवाल खड़े करता है DCGI जिसके मुखिया स्वास्थ्य मंत्री हैं. रेमडेसिविर और फैबीफ्लू CDSCO द्वारा भी मंजूर हैं. बाबा रामदेव के खिलाफ महामारी एक्ट की धारा 188 के तहत कार्रवाई होनी चाहिए. जो कि बाबा एक विश्व   योग गुरु हैं और उनकी एक दवा कंपनी भी है जिसे बाबा स्वयं चलाते हैं. वे पहले भी कई बार अपनी कंपनी के उत्पादों को लेकर झूठे दावे कर चुके हैं और पब्लिक को गुमराह भी कर चुके हैं.

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IMA ने कहा कि ICMR, AIIMS, DCGG और हेल्थ मिनिस्ट्री की साख पर सवाल उठाना क्या एंटीनेशनल नहीं है? सुप्रीम कोर्ट भी रेमडेसिविर की उपलब्धता को सुनिश्चित करने को कह चुका है, ऐसे में क्या इस बयान को कोर्ट का अनादर नहीं माना जाएगा? रामदेव, हालात का फायदा उठाकर, डर फैलाकर और अपनी अवैध और बीना मंजूरी वाली दवाएं बेचना चाहते हैं और पैसा कमाना चाहते हैं. IMA ने अपने बयान में कहा कि अगर हेल्थ मिनिस्टर बाबा के बयांन पर तुरंत ही कोई फेसला नहीं लेते हैं तो हम कोर्ट जाने के लिए मजबूर होंगे.

IMA से पहले सफदरजंग अस्पताल दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी 21 मई को एक प्रेस-नोट जारी किया था जिसमें बाबा रामदेव से बिना शर्त माफी मांगने को कहा गया है.

रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, मिस्टर राम किशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के दिए पब्लिक स्टेटमेंट की निंदा करती है. उन्होंने खुलेआम ऐलोपैथी की बेइज्जती की और असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया. बाबा रामदेव के इस बयान को हेट स्पीच माना जाए और उन पर एपीडेमिक डिजीज एक्ट 1987 के तहत कार्रवाई की जाए. साथ ही हम रामदेव बाबा ऐलोपैथी और उसके प्रैक्टिशनर से माफी मांगें

 

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