
काशीपुर – काशीपुर में आज पूर्व शिक्षा मंत्री और मौजूदा विधायक अरविंद पांडे के दौरे ने माहौल पूरी तरह सियासी रंग में रंग दिया। जब मीडिया ने पंचायत चुनाव को लेकर सवाल किया तो उन्होंने बेझिझक जवाब देते हुए कहा कि सबसे पहले तो मैं उत्तराखंड हाईकोर्ट का आभार व्यक्त करता हूँ। उन्होंने कहा कि अदालत ने गंभीरता से पूरे मामले को सुना और जो लंबे समय से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगी हुई थी, उसे हटाकर न्यायपालिका ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया है। यह फैसला प्रदेश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को और मजबूत करने वाला है। उन्होंने कहा कि सरकार कोर्ट के हर आदेश का सम्मान करती है और जल्द से जल्द पंचायत चुनावों का कार्यक्रम घोषित कर आम जनता को उनका लोकतांत्रिक अधिकार दिलाने की दिशा में काम करेगी। उनका पूरा विश्वास है कि सरकार पूरी ईमानदारी से इस प्रक्रिया को निष्पक्ष रूप से अंजाम तक पहुँचाएगी ।

राजनीतिक माहौल तब और ज्यादा गरमा गया जब मीडिया ने हरीश रावत के उन बयानों पर सवाल दागा जिनमें उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया था कि कोर्ट की फटकार के बाद ही सरकार हरकत में आई है। बीओ – आपको बताते चलें कि इस पर अरविंद पांडे ने बेहद सहज लेकिन तीखे अंदाज में जवाब देते हुए कहा कि हरीश रावत उत्तराखंड की राजनीति के सबसे बड़े मार्गदर्शक व्यक्तित्वों में से एक हैं। वह हमारे लिए बड़े हैं और हम सब तो उनके राजनीतिक बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा व्यक्ति, जिसने अपने जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा उत्तराखंड के लिए समर्पित किया है, उसे प्रदेश की पहचान और गरिमा को ध्यान में रखते हुए राजनीति करनी चाहिए। आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति उनके कद को शोभा नहीं देती। उन्होंने कहा कि राजनीति में बयानबाजी करते समय इतना तो ख्याल रखना चाहिए कि वो देवभूमि की पवित्रता और संस्कारों के अनुकूल हो।
इसी बातचीत में अरविंद पांडे ने सरकारी तंत्र और जांच एजेंसियों की भूमिका को लेकर भी अपनी बात स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि सरकार और सिस्टम हमेशा तथ्यों के आधार पर ही काम करता है। कोई भी कार्रवाई बिना ठोस प्रमाणों के नहीं होती। उन्होंने यह भी साफ कहा कि अगर किसी के खिलाफ जांच हो रही है या कार्रवाई हो रही है तो इसमें किसी भी तरह का व्यक्तिगत बदले का भाव नहीं है। सरकारी तंत्र का अपना दायरा होता है और वो अपने नियम-कायदों के तहत ही चलता है। इसलिए हर बात में साजिश ढूँढना या आरोप लगाना केवल राजनीतिक स्टंट से ज्यादा कुछ नहीं। एनएच-74 घोटाले से जुड़े सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि यह घोटाला उसी समय का है जब विरोधी सत्ता में थे। इस बात को समझना जरूरी है कि अगर उस समय ईमानदारी से काम होता तो आज यह नौबत ही नहीं आती। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जिन लोगों ने अपने समय में कार्रवाई करने की बजाय आँखें मूँद ली थीं, वो आज सवाल उठा रहे हैं।
यदि उन्हें इतना ही भरोसा था अपनी सच्चाई पर तो अपने शासनकाल में कार्रवाई क्यों नहीं की? उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार का दायित्व है कि वह सच्चाई सामने लाए और अगर कोई दोषी है तो कानून के दायरे में उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। कुल मिलाकर अरविंद पांडे का यह दौरा इस बात का संकेत दे गया कि सरकार पंचायत चुनावों को लेकर पूरी तरह गंभीर है और कोर्ट के आदेश के बाद अब इसमें कोई संशय नहीं रह गया है। साथ ही उन्होंने अपने जवाबों से साफ कर दिया कि सरकार कानून के दायरे में रहकर काम कर रही है और विपक्ष का हर आरोप केवल राजनीतिक मंच पर चर्चा बटोरने की कवायद भर है। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड की जनता बहुत समझदार है और वह जानती है कि कौन सच्चाई के साथ है और कौन केवल सियासी रोटियां सेंक रहा है।
