हरिद्वार (वंदना गुप्ता) हरिद्वार में चल रहे कुम्भ मेले में इन दिनों देवलोक नजारा है चारो और भगवा वस्त्रों में साधु संत ऐसे लग रहे है जैसे देवलोक से देवी और देवता धरती पर उतर आए हो कुम्भ में एक अलग ही नजारा दिखाई दे रहा है साधु संतों के साथ साथ बड़ी संख्या में महिला संत भी सनातन धर्म में एक अध्भुत छटा बिखेर रही है इस कुम्भ में महिला संतो की संख्या भी खूब नजर आ रही है यानी धर्म अध्यात्म के साथ सनातन परंपरा की और महिलाओं का रुझान भी बढ़ रहा है यही नही इस कुम्भ में किन्नर भी सनातन धर्म संस्कृति की अनूठी छवि पूरी दुनिया मे पेश कर रहे है इस कुम्भ में किन्नर प्रमुख आकर्षण का केंद्र बने हुए है आखिर कैसे महिलाए सनातन परंपरा को बढ़ाने के लिए संत का चोला धारण कर रही है देखे हमारी इस खास रिपोर्ट में जब महिलाएं आज दुनिया मे हर क्षेत्र में आगे दिखाई दे रही है तो भला धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में वह क्यों पीछे रहे आज महिलाएं बड़ी संख्या में धर्म और अध्यात्म की और रुख कर रही है कुम्भ में अभी तक कई महिलाएं महामंडलेश्वर बन चुकी है यही नही जूना अखाड़े में तो एक साथ 200 महिलाओं ने वह दीक्षा ली है जिस क्षेत्र में महिलाओं के जाने की कल्पना करना भी मुश्किल है इस कुम्भ में जूना अखाड़े ने 200 महिला संतो को नागा सन्यासिनी की दीक्षा दी है महिलाएं अब सनातन धर्म का झंडा थाम रही है जूना अखाड़े की महिला महामंडलेश्वर जय अम्बानंद गिरी बताती है कि बचपन से ही परिवार से ऐसे संस्कार मिले है कि मन धर्म कर्म की और लगा रहा वह बताती है कि सांसारिक मोह माया कुछ नही है बल्कि वह तो दुख का सागर है तो ईश्वर की भक्ति में ही क्यों न मन लगाया जाए ईश्वर की आराधना से मन को असीम शांति मिलती है इनका कहना है कि इनको 6 साल हो गए है सन्यास लिए हुए इस वर्ष ही महामंडलेश्वर बनी हूं इनका कहना है कि सनातन धर्म का पतन हो रहा है उसको बढ़ाने के लिए धर्म का प्रचार करना ही मेरा उद्देश्य है सबसे कठिन ग्रस्त जीवन होता है और सबसे आसान सन्यास जीवन होता है क्योंकि सन्यास जीवन में सिर्फ प्रभु की ही भक्ति करनी होती है ग्रस्त और सन्यास जीवन में रुकावटें काफी होती है पर आगे बढ़ने वाले वालों की कभी हार नहीं होती सनातन धर्म में महिलाएं संत चोले को काफी कम धारण करती है यह सदियों से देखने को मिला है मगर आज कई महिलाएं सनातन धर्म का चोला पहनकर सनातन परंपरा को आगे बढ़ा रही है जय अम्बानंद गिरी का कहना है कि संतान धर्म के प्रति महिलाओं में भी जागरूकता बढ़ रही है और वह भी अब धर्म अध्यात्म के क्षेत्र में आगे आ रही है जूना अखाड़े में ही कई महिलाओं ने सन्यास की दीक्षा ग्रहण की है अब महिलाएं भी सन्यास में आगे बढ़ रही क्योंकि अभी तक महिलाओं को जागरूक नहीं किया जा रहा था यह काफी दुख की बात थी इसी कारण महिलाएं सन्यास परंपराएं में काफी कम है इनका कहना है कि कठिनाई हर क्षेत्र में होती है मगर कठिनाई तब तक होती है जब हम इसको मानते हैं मगर सन्यास जीवन में आने के बाद पता चलता है कि सबसे सरल यही है बस मन में डर होता है तभी लगता है कि यह कठिन मार्ग है हम पुरुषों के मुकाबले इस मार्ग पर चल सकते हैं या नहीं महिलाओं में डर का माहौल है मैं महिलाओं से अपील करती हूं कि वह डर को छोड़कर सनातन परंपरा में आगे आए क्योंकि सनातन धर्म किसी में भेदभाव नहीं करता इनका कहना है कि अभी कई महिलाएं सन्यास जीवन को जी रही है मगर आगे बड़ी संख्या में
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