हरिद्वार (वंदना गुप्ता) कुम्भ में अखाड़ो की पेशवाईयों के बाद कुंभनगरी में अब पहले कुम्भ स्नान को लेकर साधु संतों की तैयारियां जोरों पर है 11 मार्च को शिवरात्रि के अवसर पर सभी सात सन्यासी अखाड़े शाही स्नान करेंगे हालांकि उत्तराखंड सरकार ने कोविड गाइडलाइन के चलते कुम्भ अवधि को चार माह से घटाकर केवल 1 माह कर दिया है जिससे सरकारी अधिसूचना के अनुसार कुम्भ अब 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक होगा मगर सन्यासी अखाड़े परम्परा के अनुसार शिवरात्रि के पर्व पर भी पूरे तामझाम के साथ शाही अंदाज में गंगा स्नान करने जाएंगे।कोरोना का ग्रहण हरिद्वार कुम्भ पर भी लगा हुआ है कोरोना की वजह से कुम्भ अब सीमित अवधि के लिए कोविड की गाइडलाइन के अनुसार होगा इसी वजह से 11 मार्च को शिवरात्रि के अवसर पर सरकारी अधिसूचना के अनुसार शाही स्नान नही बल्कि केवल पर्व स्नान होगा यानी शिवरात्रि के स्नान को कुम्भ का स्नान नही माना जायेगा मगर साधु संत 11 मार्च को भी शाही स्नान करेंगे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि सभी 7 सन्यासी अखाड़े अपनी परम्परा के अनुसार शिवरात्रि का स्नान शाही तरीके से ही करेंगे उन्होंने कहा कि शिवरात्रि के स्नान परम्परागत रूप से केवल 7 सन्यासी अखाड़े ही करते आये है उन्होंने बताया कि शिवरात्रि शाही स्नान सबसे पहले जूना अखाड़ा करेगा जूना अखाड़े के साथ ही उसके सहयोगी अखाड़े आव्हान और अग्नि अखाड़े भी शाही स्नान करेंगे इसके बाद दूसरे नंबर पर निरंजनी और उसके साथ आनंद अखाड़ा शाही स्नान करने जाएगा तीसरे नंबर पर महानिर्वाणी और अटल अखाड़ा स्नान करेगा उनका कहना है कि इसके बाद के 12 14 और 27 तारीख का शाही स्नान उसमें निरंजनी अखाड़ा पहले स्नान करता है सभी 7 सन्यासी अखाड़ो की बैठक हो चुकी है जिसमे यह सब तय हो गया है इनका कहना है कि शाई का अर्थ होता है पूरे वैभव के साथ स्नान किया जाएगा इस शाही स्नान में नागा सन्यासी की संख्या कुछ कम रहेगी क्योंकि शिवरात्रि के अवसर पर नागा सन्यासी अपनी गुफाओं और स्थानों पर पूजन करते हैं मगर उसके बाद के स्नान में नागा सन्यासी भारी मात्रा में होगे और भव्य रुप से शाही स्नान करेंगे राज्य सरकार द्वारा कोविड गाइडलाइन के चलते कुंभ मेले की अवधि एक महीने की करी गई है और शिवरात्रि के शाही स्नान उसमें शामिल नहीं है मगर उसके बावजूद संन्यासी अखाड़ों द्वारा भव्य रुप से महाशिवरात्रि का शाही स्नान किया जाएगा और हरिद्वार में उस वक्त नजारा अलग ही देखने को मिलेगा जब पूरे वैभव के साथ सन्यासी अखाड़े के नागा सन्यासी और साधु संत शाही स्नान करने हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड पहुचेंग
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