हल्द्वानी। (धीरज भट्ट)
तीरथ सिंह रावत मंत्रिमंडल में उत्तराखंड के पांच जिलों कोे फिर से प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है। इनमें धुर पहाड़ी जिलों में शुमार बागेश्वर चंपावत, चमोली, उत्तरकाशी व रूद्रप्रयाग को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। हालाकि त्रिवेन्द्र सिंह रावत के मंत्रिमंडल में भी उनको स्थान नहीं मिल पाया था। इधर मंत्रिमंडल में किसको स्थान देना या है नहीं यह उनका अधिकार है लेकिन पहाड़ के जिलों को स्थान न मिल पाना एक प्रकार से उत्तराखंड की अवधारणा की उपेक्षा ही मानी जायेगी।
ज्ञात हो कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत के सरकार में इन जिलों को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया। हालाकि वहां के लोगों ने इसकी मांग भी की लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ। इधर त्रिवेन्द्र सिंह रावत की विदाई के बाद लगने लगा था कि इस बार तीरथ रावत मंत्रिमंडल में इन जिलों को मौका मिलेगा लेकिन इस बार भी इन जिलों के हाथ खाली ही रहे।
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शत प्रतिशत विधायक होने के बावजूद नहीं मिला प्रतिनिधित्व
हल्द्वानी। इन जिलों से भाजपा के ही विधायक हैं। एकमात्र अपवाद रूद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ से मनोज रावत कांग्रेस के विधायक हैं बाकीं अन्य सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। इतना सब कुछ होने के बावजूद भी इन जिलोें को प्रतिनिधित्व नहीं मिला।
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राजधानी रहा प्रतिनिधित्व विहीन
हल्द्वानी। एक तरफ भाजपा गैरसैंण को राजधानी बनाने का दावा कर रही है। वहीं मंत्रिमंडल में यहां से किसी को भी स्थान न मिल पाना एक तरफ से राजधानी के प्रति अन्याय ही माना जायेगा।
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दुर्गम जिलोें में शुमार होते हैं पांचों जिले हल्द्वानी। इन जिलों की गिनती अत्यन्त दुर्गम जिलों में होती है। यहां से देहरादून या अन्य महत्वपूर्ण शहरों की दूरी भी ज्यादा है। इसलिए यहां के लोगों की समक्ष परेशानियां भी अधिक हैं।
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पौढ़ी एक बार फिर हावी
हल्द्वानी। पूर्ववर्ती त्रिवेन्द्र सिंह रावत कीे तरह इस बार भी पौढ़ी हावी रहा। हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज, धन सिंह रावत को तो ही लिया गया है। वहीं सीएम तीरथ सिंह रावत भी पौड़ी के ही रहने वाले हैं। इससे पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी पौढ़ी के ही निवासी थे लेकिन वे देहरादून जिले की डोइवाला सीट से विधायक हैं।
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