मालधन (सलीम अहमद) भाजपा सरकार जिस किसान विधेयक बिल को किसान के हित में होने का ढिढोरा पिट रही है वो बिल देश के अनदाता को एक आंख नही भा रहा किसान इस बिल को लेकर लगभग दो महीने से ट्रेनों की पटरियों पर आंदोलन कर रहे थे लेकिन सत्ता के नशे में मगरूर भाजपा सरकार ने किसानों की नही सुनी और बिल को किसानों के हिट में होने का दावा करती रही लेकिन अब किसानों ने दिल्ली का रुख कर लिया। किसानों के लिए दिल्ली की राह आसान थी किसान दिल्ली ना पहुँचे इसके लिए शासन प्रशासन ने जगह जगह किसानों को रोकने के लिए रास्तो में बेरिकेडिंग लगाने के साथ पानी की बौछार और अंशु गेस के गोले किसानों के ऊपर बरसाय लेकिन किसानों को दिल्ली पहुँचने से नही रोक सके। किसानों के साथ ऐसे रवैये की देश भर में जमकर आलोचना की जा रही है
देश भर के किसान जगह आन्दोलन कर रहे हैं किसान बिल को वापस लेने की मांग भाजपा से कर रहे है। भाजपा के किसान विधेयक के बिरोध में किसानों ने 8 दिसम्बर को बंद का आह्वान किया था जिसको कांग्रेस हाईकमान व प्रदेश कांग्रेस ने भी पूर्ण समर्थन किया था। कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के दिशा निर्देशो का पालन करते हुए पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत ने रामनगर विधानसभा की कमान संभाली थी।
पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत ने रामनगर में एक सभा को संबोधित करते हुए। नगर के व्यपारियों से अपने अपने व्यपारिक प्रतिष्ठान बंद कर सहयोग की अपील करते हुए किसानों के आंदोलन को समर्थन देने की अपील की थी। रणजीत सिंह रावत के साथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी भारत बंद को सफल बनाने के लिए जमकर प्रयास किये रणजीत सिंह रावत की इस अपील का असर रामनगर ही नही बल्कि रामनगर के ग्रामीण क्षेत्रों सहित लगभग 80 प्रतिशत बड़े व छोटे व्यपारियों के साथ जनता में भी दिखाई दिया है रणजीत सिंह रावत ने किसानों के समर्थन में जो भारत बंद की अपील व्यपारियों से की थी उसका जायजा भी लिया। रामनगर विधानसभा में शहर के साथ ही सभी ग्रामीण क्षेत्रों का भी जायजा लिया हैं सभी जगह आंदोलन को जबरदस्त समर्थन मिलता नजर आया।
पूर्व विधायक रणजीत सिंह विधायक ने बताया कि आज भारत अभूत पूर्व बंद है व्यपारियों कारोबारियों सरकार को चेता दिया है कि वो सरकार के साथ है और सरकार किसानों के सम्मान में तीनों काले कानूनों को वापस ले बरना परिणाम भुगतने को तैयार रहे। किसान आज अपने खेतों को छोड़कर सड़को पे हैं सारे व्यपारी चाहते हैं कि किसान अपने खेतों में जाय इसलिए सरकार को चाहिए कि वो तत्काल इन काले कानूनों को वापस ले।