गोपेश्वर – ( जितेन्द्र कठैत) उत्तराखंड में जलवायु अनुकूल वन पंचायतों के विकास हेतु जल , जंगल व जमीन के प्रबंधन के लिए 1976 में राज्य सरकार ने भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 28 के तहत वनपंचायत के लिए नए नियम जारी किए ।जिसमे राजीव गांधी फाउंडेशन के डॉ विशाल मैशी ने कहा कि इन नियमो में वन पंचायतों की स्वतंत्रता खत्म कर उन्हें ग्राम वन की अवधारणा दी गयी। इन वन पंचायतों के अधिकारों की सभी शक्तियां वन विभाग ने अपने हाथ मे ले ली है। इसके तहत 2001 व 2005 में हुए वनाधिकार अधिनियम अधिकरण के नियमो में संशोधन हुए है जिसमे भी वही नियम लागू किये गए वन पंचायतों के ऊपर। 2006 में केन्द्र सरकार में हुए वन पंचायत व वनाधिकार के ग्राम स्तर पर वन पंचायतों में कुछ हिदायत दी गयी थी लेकिन वे हिदायतें अभी तक धरातल पर उतर नही पाई जिसमे हिमाद के सचिव उमा शंकर विष्ट ने बताया कि सरपंच संघठन को अपने हको की लड़ाई के लिए आगे आना होगा। जिसमे वन पंचायत सरपंच निजमुला जितेन्द्र कठैत ने कहा कि सरपंचों को भी अन्य संघठनों की भांति मानदेय की ब्यवस्था सरकार को बनानी होगी तभी जंगल को वनाग्नि , अवैध कटान, अवैध खनन आदि वन संरक्षण के लिए ये संघठन अग्रणी रह पाएंगे। व जुलाई अगस्त माह में भी उत्तराखण्ड में विशेष ढँग से हरेला पर्व मनाया जाता है विभाग अपने बजट को खत्म करता है और नेता व जनता इसमें बढ़ चढ़ कर वृक्षारोपण करते हैं उसके उपरांत इन वृक्षों का पता नही चलता, क्योंकि वृक्षारोपण के बाद उन पौधों की देखभाल करने के लिए कोई जनमानस व शासन प्रशाशन नही होते हैं होते तो आज उत्तराखण्ड कुछ और ही दिखाई देता इसके चलते पूर्व सरपंच वन पंचायत स्युण के बहादुर सिंह रावत ने कहा कि वन पंचायतो में 2005 से नियमावली नही बनी व वन पंचायत की भूमि को बढाया जाय व सभी वन पंचायतों के हक हकूकों को भी जनसंख्या के आधार पर भी देखा जाये। राजीव गांधी फाउंडेशन के कॉर्डिनेटर जीत सिंह ने कहा कि मानव जीवन मे वनों की भूमिका अति महत्वपूर्ण है, बगैर जल, जंगल, जमीन के जीवन जीना असम्भव है, जिससे संरक्षित करने की आवश्यकता है जिसमे वन पंचायत सरपंचों की भूमिका महत्वपूर्ण साबित होगी। इस बैठक में दशोली, कर्णप्रयाग व जोशीमठ के सरपंच पुष्कर सिंह बिष्ट, दर्शन लाल, जवाहर सिंह,देवेश्वरी नेगी, दर्शन सिंह, मदन सिंह, हेमा पंवार, महेंद्र सिंह, आदि ने अपने विचार रखे व हिमाद से प्रभा, माला, पंकज,दीपक, संतोषी,अनिल,भूपेंद्र आदि लोग उपस्थित रहे।
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